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Showing posts from July, 2021

Qurbani ki Fazilat – क़ुरबानी के अहम् मसाइल

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   क़ुरबानी – क़ुरबानी करना वाज़िब है | इसका सिलसिला क़दीम ज़माने से चला आ रहा है यानी हज़रत आदम (अ०स०) के ज़माने में हाबील और क़ाबिल ने पहली बार क़ुरबानी पेश की थी | अल्लाह तआला के हुक्म और रज़ा के लिए हज़रत इब्राहीम (अ०स०) ने अपने बेटे हज़रत इस्माईल (अ०स०) की क़ुरबानी पेश की थी | उसी याद में मुसलमान क़ुरबानी पेश करते हैं |   अल्लाह तआला का इरशाद – وَلِكُلِّ أُمَّةٍۢ جَعَلْنَا مَنسَكًۭا لِّيَذْكُرُوا۟ ٱسْمَ ٱللَّهِ عَلَىٰ مَا رَزَقَهُم مِّنۢ بَهِيمَةِ ٱلْأَنْعَٰمِ और हर उम्मत के लिए हमने क़ुरबानी के तरीक़े मुक़र्रर फरमाए हैं ताके वह उन चौपाये जानवरों पर अल्लाह का नाम लें जो अल्लाह ने उन्हें दे रखे हैं |   क़ुरबानी के मुताल्लिक हदीसें – हज़रत सय्यदना ज़ैद बिन अरक़म (रज़ी०) फरमाते हैं के सहाबा (रज़ी०) ने अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह ! ये कुर्बानियां क्या हैं ? आप ने इरशाद फ़रमाया – तुम्हारे बाप इब्राहीम (अ०स०) की सुन्नत है | सहाबा (रज़ी०) ने अर्ज़ किया या रसुलअल्ल्लाह ! हमारे लिया क्या सवाब है ? फ़रमाया – ह...

Sami Yusuf Hamd Lyrics – हस्बी रब्बी हमद लिरिक्स

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     हस्बी रब्बी हमद – (ARBIC) – حسبي ربي جل الله (الله الله)   ما في قلبي غير الله  (الله الله) يا رب العالمين  (الله الله) صلّ على طه الأمين  (الله الله) في كل وقت وحين  (الله الله) إملأ قلبي باليقين  (الله الله) ثبتني على هذا الدين  (الله الله) واغفر لي والمسلمين  (الله الله) حسبي ربي جل الله  (الله الله) ما في قلبي غير الله  (الله الله) على الهادي صلى الله (الله الله) لا إله إلا الله (الله الله)     हस्बी रब्बी हमद लिरिक्स हिंदी में – हस्बी रब्बी जल्लल्लाह अल्लाह हु अल्लाह मा फी क़ल्बी गैरुल्लाह अल्लाहु हु अल्लाह वो तन्हा कौन है? (अल्लाहू अल्लाह) बादशाह वो कौन है? (अल्लाहू अल्लाह) ओ, मेहरबां वो कौन है?  (अल्लाहू अल्लाह) क्या ऊंची शान है?  (अल्लाहू अल्लाह) उसकी अपनी शान है (अल्लाहू अल्लाह) सब दिलों की जान है  (अल्लाहू अल्लाह) हस्बी रब्बी जल्लल्लाह अल्लाह हु अल्लाह मा फी क़ल्बी गैरुल्लाह अल्लाहु हु अल्लाह   हस्बी रब्बी हमद (ENGLISH ) – O Allah the Almighty (Allah’u Alla...

Maa baap ke Huqooq – माँ बाप के साथ हुस्ने सुलूक

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   माँ-बाप (वालेदैन ) – माँ-बाप अल्लाह तआला की एक बड़ी नेमत है, ख़ुशनसीब  है वो जो इस नेमत की क़द्र सही वक़्त पर करे नहीं तो कितनी औलादें माँ-बाप के मरने के बाद अफ़सोस करती है या खुद उनकी औलादें जब उनपर वैसा ही सुलूक करतीं है जैसा ये कभी अपने वालेदैन से करते थे | अल्लाह तआला का इरशाद –   وَقَضٰى رَبُّكَ اَلَّا تَعۡبُدُوۡۤا اِلَّاۤ اِيَّاهُ وَبِالۡوَالِدَيۡنِ اِحۡسَانًا​ ؕ اِمَّا يَـبۡلُغَنَّ عِنۡدَكَ الۡكِبَرَ اَحَدُهُمَاۤ اَوۡ كِلٰهُمَا فَلَا تَقُلْ لَّهُمَاۤ اُفٍّ وَّلَا تَنۡهَرۡهُمَا وَقُلْ لَّهُمَا قَوۡلًا كَرِيۡمًا और तेरा परवरदिगार साफ साफ़ हुक्म दे चुका है के तुम उसके सिवा किसी और की इबादत ना करना और माँ बाप के साथ अहसान करना | अगर तेरी मौजूदगी में उन में से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाएं तो उनके आगे उफ़ तक ना कहना, न उन्हें डाट डपट करना बलके उनके साथ अदब व अहतराम के साथ बात –चीत करना (सुरह बनी-इस्राईल,आयत 23)   इसके मुताल्लिक चंद हदीस – हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रवायत...

Dua Mangne ka Sahi Tariqa – दुआ मांगने का सही वक़्त

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     दुआ मांगने का सही वक़्त और तरीका – बाज़ अवक़ात एसे होते हैं के उस वक़्त अगर दुआ की  जाये तो अल्लाह तआला के यहाँ ज़रूर क़ुबूल होते हैं और ये भी काबिले गौर है के अगर हम अपने प्यारे नबी करीम (स०अ०) के बताए हुए तरीक़े से दुआ करें तो ये भी अल्लाह के बारगाह में कुबूल होने का अहम् तरीका है |   अल्लाह तआला का इरशाद – وَإِذَا سَأَلَكَ عِبَادِي عَنِّي فَإِنِّي قَرِيبٌ أُجِيبُ دَعْوَةَ الدَّاعِ إِذَا دَعَانِ जब मेरे बन्दे मेरे बारे में आप से पूछे तो (कह दें ) मैं क़रीब हूँ | हर पुकारने वाले की पुकार का ज़वाब देता हूँ जब वह मुझे पुकारे |   हदीस – रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया – दुआ ही इबादत है, यानी अल्लाह तआला से दुआ करना भी इबादत है |   दुआ मांगने के आदाब – (1) इखलास नीयत और पूरी तवज्जोह के साथ दुआ करना (2) अल्लाह तआला की हमद व सना से आगाज़ करना (3) दुआ की इब्तदा और आखिर पर दरूद पढ़ना (4) कुबूलियत के यक़ीन के साथ दुआ मांगना (5) अल्लाह तआला के अलावा किसी और से न मांगना (6) पहले अ...

Hajat aur Pareshani ki dua – परेशानी के वक़्त की दुआ

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  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     हाजत और परेशानी के वक़्त दुआ – ज़िन्दगी के हर मसले का हल अल्लाह ने कुरआन मजीद में रखी है | कोई भी हाजत और परेशानी का हल कुरआन व हदीस से करना मोमिनों की अव्वल ज़िम्मेदारी है | हुज़ूर (स०अ०) ने एसी कितनी ही दुआ बतलाया है जिनको पढ़कर अपनी हाजत और परेशानियों पूरा कर सकते हैं |   चंद दुआ ए हाजत व परेशानी – (1) आयत ए करीमा – لاَّ إِلَـهَ إِلاَّ أَنتَ سُبْحَـنَكَ إِنِّى كُنتُ مِنَ الظَّـلِمِينَ ए अल्लाह ! तेरे सिवा कोई माअबुद नहीं | तेरी ज़ात पाक है बेशक मैं कुसूरवार हूँ | फ़ज़ीलत – ये दुआ हज़रत युनुस (अ०स०) ने मछली के पेट की तरिखियों में की थी जो अल्लाह तआला ने  क़ुबूल फ़रमाया और अंधेरियों से निज़ात अता फ़रमाया | नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जिस मुसलमान ने भी किसी मुसीबत में इस दुआ से अल्लाह को पुकारा, अल्लाह तआला उसकी दुआ ज़ुरूर क़ुबूल फरमाएंगे | अक्सर उलमा की राय है के हर मुसीबत और परेशानी आये तो ये दुआ को कसरत से पढनी चाहिए | बाज़ उलमा के मुताबिक एक लाख चौबीस...