Bismillah ki Fazilat aur Ahmiyat – बिस्मिल्लाह पढ़ने की बरकतें
بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
बिस्मिल्लाह की अहमियत –
“ बिस्मिल्लाह “ एक एसा कालिमा है जो हर काम से पहले पढने का हुक्म दिया गया है | सुबह को बिस्तर से उठने से ले कर रात को सोने तक कोई भी काम हो बिस्मिल्लाह ज़रूर कहना चाहिए, इसलिए के ये कालिमा के कहने से अल्लाह रब्बुल इज्ज़त की मदद साथ होती है, और हर काम में आसानी होती है |
कुरआन मजीद में बिस्मिल्लाहिररहमाननिररहीम –
कुरआन मजीद में हर सुरह (सिवाए सुरह तौबा) से पहले बिस्मिल्लाह का होना इसकी फ़ज़ीलत और अहमियत की दलालत करती है और बिस्मिल्लाह सुरह फ़ातिहा का हिस्सा भी है | बगैर बिस्मिलाह पढ़े सुरह का आगाज़ नहीं कर सकते क्युकि ये अल्लाह का हुक्म है |
इसके मुतालीक हदीस –
हुजुर (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – दुनिया या आखिरत का हर अहम् काम अगर बिस्मिलाह से शुरू न किया जाये तो वह अधुरा और नाक़िस है |
अल्लाह तआला के यहाँ उसकी कोई कद्र व क़ीमत नहीं जो बिस्मिल्लाह पढने का अह्तामाम नहीं करता और जो इसका अह्तामाम करता है तो अल्लाह तआला उसको उस काम में बरकत अता फरमाते
बिस्मिल्लाह पढने की चंद फज़िलातें और अहमियत –
(1) कुरआन मजीद के पढने से पहले बिस्मिल्लाह का कहना यानी अल्लाह तआला के नाम से शुरू करना है | हम जानते हैं के अगर कोई भी काम से पहले अल्लाह तआला का नाम लेते हैं तो उस काम को करने में आसानी पैदा कर दी जाती है |
(2) जिस खाने को बिस्मिल्लाह पढ़ कर खाया जाये तो उसमे बरकत डाल दी जाती है और शैतान खाने में शरीक नहीं होता | अगर खाने से पहले बिस्मिल्लाह न पढ़ी जाये तो शैतान को उस खाने पर अख्तियार हासिल हो जाता है |
(3) रात को सोने से पहले दरवाज़े बंद करते वक़्त बिस्मिल्लाह पढ़ी जाये तो शैतान उस दरवाज़े को नहीं खोल सकता |
(4) जो काम बिस्मिल्लाह पढ़ कर किये जाएँ वो काम शैतान और जिन्नों के फितने से महफूज़ रहते है |
(5) घर से निकलते वक़्त बिस्मिल्लाह पढने वाले की रहनुमाई की जाती है और शैतान पढने वाले से अलग हो जाता है |
(6) बिस्मिल्लाह पढने से इंसान, शैतान के हमले से महफूज़ हो जाता है |
(7) बिस्मिल्लाह पढने से शैतान इब्ने आदम की शर्मगाह को नहीं देख सकता क्योंकी बिस्मिल्लाह इब्ने आदम की शर्मगाह और शैतान के बीच पर्दा होता है |
(8) मियाँ – बीवी हमबिस्तरी से पहले दुआ पढ़ ले जो बिस्मिल्लाह से शुरू है तो मियां –बीवी के बीच से शैतान भाग जाता है और जो औलाद अल्लाह तआला अता फरमाता है वो शैतान के शर से महफूज़ रहता है |
हमबिस्तरी की दुआ –
بِسْمِ اللَّهِّ اللَّهُمَّ جَنِّبْنَا الشَّيْطَانَ وَجَنِّبِ الشَّيْطَانَ مَا رَزَقْتَنَا
(9) वजू से पहले बिस्मिल्लाह पढना चाहिए क्युकि जिसने बिस्मिल्लाह नहीं की उसकी वजू नहीं | एक हदीस में हुजुर (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो शख्स अल्लाह तआला का नाम लेकर वजू करे यानि बिस्मिल्लाह पढ़कर वजू करे तो यह वजू उसके जिस्म के तमाम अंगों की तहारत (पाकी) का सबब बन जायेगा |
(10) बिस्मिल्लाह कहने से अल्लाह तआला के तरफ से सकीनत नाजिल होती है |
(11) जिस जानवर पर बिस्मिल्लाह यानी अल्लाह तआला का नाम ना लिया जाये उसको खाने से शख्त मना किया गया है और हराम क़रार दिया गया है | बिस्मिल्लाह पढ़कर जानवर जिबह करने से एक तो अल्लाह तआला का हुक्म पूरा होता है और दूसरी ये के इसमें बरकत होती है |
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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