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Showing posts from January, 2021

Ek Azeeb Ashiq e Khuda - सबक आमोज़ वाक़िआ

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   एक सच्चा वाक़िआ – हज़रत अब्दुल वाहिद बिन ज़ैद रह० ( जो मशाइखे चिश्तियः के सिलसिले में मशहूर बुजुर्ग हैं) फ़रमाते हैं कि हम लोग एक मर्तबा कश्ती में सवार जा रहे थे, हवा की गर्दिश ने हमारी कश्ती को एक जज़ीरे में पहुँचा दिया,हमने वहां एक आदमी को देखा कि एक बुत को पूज रहा है । हमने उससे पूछा “कि तू किसकी परस्तिश करता है? उसने उस बुत की तरफ़ इशारा किया। हमने कहा, तेरा माबूद खुद तेरा बनाया हुआ है और हमारा माबूद ऐसी चीजें बना देता है, जो अपने हाथ से बनाया हुआ हो, वह पूजने के लायक नहीं हैं।   उस शख्स का सवाल और हज़रत ज़ैद (र०) का जवाब – उसने कहा तुम किसकी परस्तिश (अिबादत) करते हो? हमने कहा, उस पाक ज़ात की जिसका अर्श आसमान के ऊपर है, उसकी गिरफ्त ज़मीन पर है, उसकी अज़मत और बड़ाई सबसे बालातर है। कहने लगा तुम्हें उस पाक ज़ात का इल्म किस तरह हुआ? हमने कहा, उसने एक रसूल सल्ल० (कासिद) हमारे पास भेजा जो बहुत करीम और शरीफ़ था। उस रसूल सल्ल० ने हमें ये सब बातें बतायीं।...

Sajda sahu ka tariqa – सजदा सहु कैसे करे

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   सजदा सहु की हकीकत – सहु के माअनी है भूलना | नमाज़ में जो बातें वाजिब हैं उनमे से अगर कोई वाजिब भूल कर छुट जाये तो नमाज़ में कमी – ज्यादती हो जाती है | इस कमी या भूल को दूर करने के लिए शरियत ने सजदा सहु यानी (भूल का सजदा) करने का हुक्म दिया है | सजदा सहु करने से नमाज़ पूरी हो जाती है, लौटाने की ज़रूरत नहीं होती अलबत्ता सजदा सहु वाजिद होने की सूरत में अगर न किया गया तो नमाज़ दुबारह पढनी वाजिब है | मसला – नमाज़ में अगर कोई फ़र्ज़ जैसे रुकुह या सुजूद छुट गया, भूल कर हो या जान भुझ कर या कोई वाजिब क़सदन छोड़ दिया तो फिर सजदा सहु से काम नही चलेगा | नमाज़ लौटानी पढ़ेगी |   इसके मुताल्लिक चंद हदीसें – हज़रत मुगीरा बिन शाअबा (रज़ी०) से मर्वी है के नबी करीम (स०अ०) एक रोज़ दो रकात पढ़कर खड़े हो गए बैठे नही फिर सलाम के बाद सजदा सहु किया हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसउद (रज़ी०) से मर्वी है के सरवरे दो आलम (स०अ०) ने जोहर नामाज पढाई तो आप ने सलाम के बाद सहु के दो सजदे किये | हज़रत इमरान बिन हसीन (रज़ी०) से मर...

Ahkam e tijarat Hindi – तिजारत कैसी होनी चाहिए

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  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   तिजारत क्या है – तिजारत एक सुन्नती कारोबार है, यानी हमारे प्यारे नबी (स०अ०) ने अपनी ज़िन्दगी में तिजारत का काम किया है, ये आपकी सुन्नत है | तिजारत के जो बुनयादी उसूल नबी करीम (स०अ०) ने तजवीज़ फरमाए उन उसूलों के तहत जो तिजारत और लेन – देन होगा वह तो इबादत में शामिल होगा, वरना खिलाफ वर्जी की सूरत में दुनिया में तो शायद दौलत इकट्ठी हो जाएगी मगर आख़िरत में बदतरीन अज़ाब मूनतज़िर होगा |   अल्लाह तआला का इरशाद है – नाप और तौल पूरी पूरी किया करो इन्साफ के साथ  (सुरह – इनआम) के तुम तौलने में ज़ुल्म न करो और इन्साफ के साथ वज़न को ठीक रखो और तौल में कमी न करो (सुरह – रहमान )   तिजारत के चंद फराएज़ और हुकुक (1) अदल – ताजिर को चाहिए के नाप तौल में अदल कायम करे | कुरआन मजीद में अल्लाह तआला का इरशाद है – नाप और तौल पूरी किया करो इन्साफ के साथ  (सुरह – इनआम) नाप तौल में कमी ज़दती को कुरआन ने शदीद हराम क़रार दिया है | नबी करीम (स०अ०) ने एक मर्तबा कोई चीज़ खरीदी तो वज़न करने वाल...

Nakhun Katne ka sunnat tarika - नाख़ून तराशने का तारिका

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   नाख़ून काटने/ तराशना – मुस्लिम शरीफ़ की हदीस है के – पाकी/सफ़ाई आधा ईमान है | ज़ाहिरी एतबार से नाख़ून का काटना भी पाकी में शामिल है | अगर 40 दिन से पहले तक नाख़ून न तराशे गए तो गुनाहगार होगा |   इसके मुताल्लिक हदीस – हज़रत सय्यदना अनस (रज़ी०) फरमाते हैं – मुछों और नाख़ून तराशने और बगल के बाल उखाड़ने और मोये ज़ैरे नाफ़ मुड़ने में हमारे लिए वक़्त मुक़र्रर किया गया है के 40 दिन से ज्यादा न छोड़े (सही मुस्लिम)   नाख़ून काटने का सुन्नती तरीका – नाख़ून काटने का सही तरीका ये के – (1) पहले दाहिने(right) हाथ से शुरू करना चाहिए – दाहिने हाथ की शहादत की उंगली से शुरू करते हुए, छोटी उंगली तक काटें (सिवाए अंगूठे के ) (2) बाया (left) हाथ के नाख़ून – दाहिने हाथ के नाख़ून काटने के बाद, बाये हाथ के सबसे छोटी उंगली के नाख़ून काटते हुए हाथ के अंगूठे के  नाख़ून  काट लें | फिर आखिर में दाहिने हाथ के अंगूठे के नाख़ून तराश लें | (3) पैर के नाख़ून काटने का तरीक़ा – दाहिने पांव के छोटी उंगली से काटना शुरू करके ...

Zaitoon(Olive oil) ke Fayde – ज़ैतून के फायदे

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  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   Zaitoon(Olive oil)  ke Fayde – ज़ैतून के फायदे जैतून को इंग्लिश में Olive कहतें हैं | जैतून तेल के बेशुमार फायदे कुरआन व हदीस में बयान किये गए हैं | इसका दरख़्त तकरीबन 3 मीटर ऊँचा होता है, बेर की शक्ल का एक फल होता है| जयादा तर ये पेड़ फिलिस्तीन, रोम, पुतगाल,यूनान वगैरह में कसरत से पाया जाता है | मुफस्सिरीन की तहक़ीक़ के मुताबिक ज़ैतून  का दरख़्त एक तारीखी पौधा है, तूफ़ान ए नुह (अ०स०) के ख़तम पर, पानी के उतरने के बाद जो सबसे पहली चीज ज़मीन पर नुमाया हुई, वह ज़ैतून का ही पेड़ था | हज़रत नुह (अ०स०) ने जब परिंदे को पानी की सतह का पता लगाने को भेजा तो वापसी में उस परिंदे के मुंह में ज़ैतून के पेड़ के पत्ते थे | कुरआन मजीद में ज़ैतून का ज़िक्र – अल्लाह तआला का इरशाद है – ” और ख़जूर और मजरूआत जिन के जाएके एक दुसरे से मुख्तलिफ हैं और ज़ैतून और अनार जिन की शक्लें एक दुसरे से मिलती हैं और वह जिनकी शक्लें नहीं मिलतीं तुम उसके फलों को उस वक़्त खूब खाओ जब वह पक जाएं| मगर जाया न करो ” ...

Hazrat Saleh a.s ka Qissa – क़िस्सा हज़रत सालेह (अ०स०)

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   कौम ए आद की हलाकत के बाद, हज़रत हूद (अ०स०) के साथ जो लोग महफूज़ रहे, उन्ही की नस्लो को कौम ए समूद कहते हैं | अल्लाह तआला ने हज़रत सालेह (अ०स०) कौम ए समूद में मबुस फ़रमाया अल्लाह तआला का इरशाद है – ” व इला समुद अखाहुम सालिहा० ”  ” हमने समुद कौम की तरफ उनके भाई सालेह को भेजा “   कौम ए समुद की तामीर करदा  मकान  कौम समुद – कौम आद की तरह समुद कौम भी पहाड़ों को काटकर खुबसूरत इमारत बनाने में माहिर थी,ये हुनर उन्हें विरासत में (कौम ए आद) से मिली थी | अपने इस हुनर के घमंड और शैतान के वस्वसे में  आकर कौम ए समुद शरकाश और बुतपरस्ती में मुबतला हो गई |  फिसको फुज़ुर का दौर आम हो गया तब अल्लाह तआला ने हज़रत सालेह (अ०स०) को उस कौम की तरफ भेजा | तर्जुमः और तुम ये हालत याद करो के अल्लाह तआला ने तुम को आद के बाद जानशीन बनाया और तुमको ज़मीन पर रहने का ठिकाना दिया के नर्म ज़मीन पर महल बनाते हो और पहाड़ों को तराश – तराश कर उन में घर बनाते हो, सो अल्लाह तआला की नेमतों को याद ...

Sote Waqt ke Zikr – सोने से पहले के ज़िक्र

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   ज़िक्र की फ़ज़ीलत – अल्लाह तआला ने फ़रमाया – मुझे याद करो मैं तुम्हे याद करूँगा और मेरा शुक्र करो और मुझेसे कुफ्र न करो (सुरह बकरह ) ” ए वो लोगों जो ईमान लाये हो अल्लाह को कसरत से याद करो ” ( सुरह अहज़ाब )   हदीस – रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया – उस शख्स की मिसाल जो अपने रब को याद करता है और जो अपने रब को याद नही करता जिंदा और मुर्दा की तरह है (बुख़ारी)   सोते वक़्त के (ज़िक्र) – (1) तीनो क़ुल का पढना –  हर रात सोने से पहले आप (स०अ०) बिस्तर पर बैठ कर दोनों हथेलियों को जमह कर के उन में फुकतें और उन में ( सुरह इख्लास, सुरह फ़लक और सुरह नास) पढ़ते, फिर जिस्म के जिस जिस हिस्से पर फ़ेर सकते हाथ फेरते, सर और चेहरे और जिस्म के सामने हिस्से से शुरू फरमाते | इस तरह तीन दफह करते (बुख़ारी)   (2) अयतुल कुर्सी – जब तुम अपने बिस्तर पर आओ तो अयतुल कुर्सी आखिर तक पढ़ लो तो सुबह होने तक अल्लाह की तरफ से तुम पर एक मुहाफ़िज़ मुक़र्रर रहेगा और शैतान तुम्हारे क़रीब नहीं आ...

Islamic Quotes in hindi - क़ीमती बातें

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “ इस्लामिक क़ीमती बातें – (Islamic Quotes )  चंद क़ीमती हदीसें  –    (Part – 4)  इन क़ीमती बातों को पढ़े और याद  करें,क्युकि इर्शदे नबवी (स०अ०) है के जो 40 हदीसें याद कर लेता है तो वह जन्नत में दाखिल होगा |   Islamic Quotes  (Part – 4)     नबी करीम (स०अ०) का इरशाद – 1. जो शख्स हर जुमा को माँ बाप की, या उन में से किसी एक की कब्र की ज़ियारत करता है, तो उसकी मगफिरत कर दी जाती है और उसे (माँ बाप का) फरमाबरदार लिख दिया जाता है। 2. जिस ने जहर पी कर खुदकुशी की, उस के हाथ में ज़हर होगा और वह जहन्नम में उसे हमेशा पीता रहेगा। 3. (सबसे अफ्जल (बेहतर) सदका यह है के) तू उस वक्त सदका करे, जब तू सेहतमन्द हो और तुझे माल की खवाहिश हो। 4. दीने इस्लाम बहुत आसान मज़हब है। 5. तुम में बेहतर शख्स वह है जिससे लोग भलाई की उम्मीद करें और उस के शर (तक्लीफ) से महफूज़ हों। 6. जब तुम वज़न करो तो झुक्ता वज़न करो। 7. तुम्हारी वह लड़की जो (तलाक या शौहर के मरने की वजह से) लौट कर ...

Owaisa Qadri Naat Lyrics - ओवैस कादरी फेमस नात

  ओवैस रज़ा क़ादरी नात लिरिक्स – पाकिस्तान के मशहूर  नात खाव  ” ओवैस रज़ा कादरी ” की पढी हुई  चंद मशहूर नात लिरिक्स हिंदी और english में पेशे  खिदमत है  |   (1)  दुआ  लिरिक्स – गुनाहों की आदत (हिंदी)   गुनाहों की आदत छुड़ा मेरे मौला मुझे नेक इंसान बना मेरे मौला जो तुझको जो तेरे नबी को पसंद है मुझे ऐसा बंदा बना मेरे मौला   मुझे नेक इंसान बना मेरे मौला   तू मस्जूद मेरा मैं साजिद हु तेरा तू मालिक मैं बंदा तेरा मेरे मौला   मुझे नेक इन्सान बना मेरे मौला   तू लेगा अगर अदल से काम अपने मैं हूँ मुश्तहिक नार का मेरे मौला जो तेरी रहमत शामिले हाल हो तो ठिकाना है जन्नत मेरे मेरे मौला तुझे तो खबर है मैं कितना बुरा हूँ तू ऐबों को मेरे छुपा मेरे मौला   मुझे नेक इंसान बना मेरे मौला   मेरी ता क़यामत जो नस्लें हो या रब हो सब आशिके मुस्तफा मेरे मौला   मुझे नेक इन्सान बना मेरे मौला   ना मोहताज कर तू जहाँ में किसी का मुझे मुफलिसी से बचा मेरे मौला   मुझे नेक इन्सान बना मेरे मौला   है काबे पे नज़रे उबैदे रज़ा की हो मकबूल हर इक द...

Huzur s.a.w ke khawaab mein 4 Gunaahon ka Zikr

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “ सबक़ आमोज़ वाकिया – प्यारे रसूल (स०अ०) की आदत थी कि फज़र की नमाज़ पढ़कर अपने साथियों की तरफ़ रुख करते और फरमाते कि तुम में से रात को किसी ने कोई सपना तो नहीं देखा ? अगर कोई देखता तो बता दिया करता था | आप उसका कुछ फल बता दिया करते थे | आदत के मुताबिक एक बार सबसे पूछा कि किसी ने कोई सपना देखा है ? सभी ने कहा, नहीं देखा | आपने फ़रमाया – मैंने आज रात एक सपना देखा है कि दो आदमी मेरे पास आये और मेरा हाथ पकड़ कर मुझ को एक पाक ज़मीन पर ले चले |   पहले आदमी को अज़ाब – देखता हु कि एक आदमी बैठा हुआ है और दूसरा खड़ा है और उसके हाथ में लोहे का जंबुर है, इस बैठे हुए के कल्ले को उससे चीर रहा है, यहाँ तक कि गुद्दी तक जा पहुंचा है, फिर दुसरे के साथ भी यही मामला कर रहा है और फिर वह कल्ला उसका दुरुस्त हो जाता है, फिर उसके साथ एसा ही करता है | मैंने पूछा, यह बात क्या है ? वे दोनों आदमी बोले आगे चलो |   दुसरे आदमी को अज़ाब –  हम आगे चले, यहाँ तक कि एक एसा शख्स पर गुज़र हुआ, जो लेटा हु...

Nafl Namaz ki fazilat - नफ्ल नमाज़ के नाम

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  بِسمِ   اللہِ   الرَّحمٰنِ   الرَّحِيم      ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   नफ़िल नमाज़ क्या है – हर मुसलमान मर्द औरत पर पांच वक्तों का नमाज़ पढना फ़र्ज़ है, फ़र्ज़ कहते हैं जिसको पढना ज़रूरी है और ना पढ़ी तो गुनाहगार होगा | फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा सुन्नत और नफ्ल नमाज़ भी हदीसों से मालूम होता है | सुन्नत दो तरह के होते हैं – (1) सुन्नत ए मुक्केदा – जिसको नबी करीम (स०अ०) ने हमेशा पढ़ा करते थे | (2) सुन्नत – जिसको आप (स०अ०) ने कभी पढ़ी और कभी नहीं | नफ्ल नमाज़ – वो नमाज़ जिसकी पढने की फ़ज़ीलत और बरकात का ज़िक्र कसरत से अहादीसों में आई है | लेकिन अगर किसी वजह से ना पढ़ सके तो कोई गुनाह न होगा |   चंद नफ्ल नमाजें  और उनकी फ़ज़ीलत – (1) नमाज़े इशराक़ – ” हज़रत बुरैदा (रज़ी०) की रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) को ये इरशाद फरमाते हुए सुना के बदन में 360 जोड हैं,फिर आदमी पर लाजिम है के अपने हर जोड़ के बदले सदक़ा व खैरात करे | सहाबी (रज़ी०) ने कहा – हुजुर (स०अ०) कौन है जो इसकी ताक़त राखे ? आप (स०अ०) ने फ़रमाया – दो रकातें नमाज़े इशराक़ की पढनी तुझ पर काफी है यानी ...

mozon par Masah ka tarika - मोजों पर मसह का सही तरीका

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “     मोजे पर मसह का बयान – जो शख्स मोजह पहने हुए हो वह अगर वजू में बजाय पांव धोने के  मोजों पर मसह करे तो जाएज है। जिस पर गुस्ल फ़र्ज़ है वह मौजों पर मसह नहीं कर सकता।   मसह करने के लिये चन्द शर्ते हैं – (1) मोजे ऐसे हों कि टखने छुप जायें इससे ज्यादा होने की जरुरत नहीं और अगर दो एक अंगुल कम हो जब भी मसह दुरुस्त है एडी न खुली हो। (2) पाव से चिपटा हो कि उसको पहन कर आसानी के साथ खुद चल फिर सकें । (3) चमड़े का हो या सिर्फ तला चमड़े का हो और बाकी हिस्सा किसी और दबीज चीज का जैसे किरमिच वगैरह। मसला – हिन्दुस्तान में जो उमूमन सूती या ऊनी मोजे पहने जाते हैं उनपर मसह जाएज़ नहीं उतार कर पॉव धोना फर्ज है। (4) वजू करके पहना हो यानी अगर मोज़ा बे वजू पहना था तो मसह नहीं कर सकता। (5) न हालते जनाबत में पहना हो न बाद पहनने के जुनुब हुआ हो। (6) मुद्दत के अन्दर हो और उसकी मुद्दत मुकीम के लिये एक दिन-रात हैं और मुसाफ़िर के वास्ते तीन दिन रात । (7) कोई मोजा पांव की छोट...

10 Jannati Sahaba Names Hindi – अशरा मुबशरा

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  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   10 जन्नती सहाबी(अशरा मुबशरा)  – प्यारे नबी (स०अ०) को जिसने देखा और ईमान लाया उन्हें सहाबी कहते हैं | हर एक सहाबा जन्नती हैं, लेकिन 10 एसे सहाबी ए रसूल हैं जिनको नबी करीम (स०अ०) ने दुनिया में ही जन्नती होने की बशारत दी थी | उन 10 सहाबी (रज़ी०) को अशरा मुबशरा कहते हैं |   10 अशरा मुबशरा – (1) हज़रत अबू बक्र सिद्दीक (रज़ी०) (2) हज़रत उमर बिन ख़त्ताब (रज़ी०) (3) हज़रत उस्मान बिन अफ्फान  (रज़ी०) (4) हज़रत अली बिन अबी तालिब  (रज़ी०’) (5) हज़रत तलहा बिन उबैदुल्लाह (रज़ी०) (6) हज़रत जुबैर बिन अल – अव्वाम (रज़ी०) (7) हज़रत अब्दुर – रहमान बिन औफ़ (रज़ी०) (8) हज़रत साद बिन अबी वक्कास (रज़ी०) (9) हज़रत सईद बिन ज़ैद (रज़ी०) (10) हज़रत अबू उबैदा बिन जर्राह (रज़ी०)   इसके मुताल्लिक हदीस – हज़रत अब्दुर रहमान बिन औफ़ (रज़ी०) से रिवायत है के अल्लाह के रसूल (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अबू बक्र जन्नती, उमर जन्नती, उस्मान जन्नती, अली जन्नती, तलहा जन्नती, ज़ुबैर जन्नती, अब्दुर रहमान बिन औफ़ जन्नत, साद ...

Islamic Quiz Part 4 - इस्लामिक सवाल जवाब

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “ इस्लामिक क्विज पार्ट – 4 इस्लामिक क्विज पार्ट -4  में कुछ और  सवाल – जवाब लेकर आए हैं  , जो के  (Competitions Exam ) के लिए बहुत मददगार है |और साथ ही इस्लामिक मालूमात में इजाफा भी होगा इंशा अल्लाह  |   इस पार्ट में  ” सहाबा (रज़ी०)   “   के बारे में सवाब जवाब है |   सवाल – सहाबा (रज़ी०) किनको कहते हैं ? जवाब – जो नबी करीम (स०अ०) के ज़िन्दगी में ईमान लाये और उन्हें देखा,सहाबा कहलाते हैं | सवाल – कौन से 10 सहाबा हैं जिन्हें दुनिया में ही जन्नत की बशारत दी गई थी और उन्हें अशरा मुबशारा कहते हैं ? जवाब – 1) हज़रत अबू बक्र (रज़ी०), 2)हज़रत उमर (रज़ी०), 3) हज़रत उस्मान (रज़ी०), 4) हज़रत अली (रज़ी०),5) हज़रत तलहा(रज़ी०), 6) हज़रत जुबैर (रज़ी०), 7) हज़रत साअद बिन अबी वक्कास (रज़ी०), 8) हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ (रज़ी०),                                              9) हज़रत अबू उबैदा बिन जर्राह (रज़ी०) ,10) हज़रत सईद बिन ज़ैद (रज़ी०) सवाल – वह कौन...