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Showing posts from December, 2020

Hazrat hud a.s ka qissa - हज़रत हूद (अ०स०) का क़िस्सा

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हज़रत हूद (अ०स०)    अल्लाह तआला ने  हज़रत हूद (अ०स०) को कौमे आद के तरह भेजा |आद का ज़माना लगभग दो हज़ार साल कब्ल मसीह माना जाता है |कौमे आद पहाड़ों को काट -काट कर खुबसूरत मकान बनाने में माहिर थे,लम्बे कद और चौड़े जिस्म वाले थे |हज़रत नुह (अ०स०) की बेटे ” साम ” की नस्ल से थे | जिस्मानी सूरत व गुरुर में उन्होंने अल्लाह तआला को बिलकुल भुला दिया और उन्होंने बुतों  की पूजा शुरू कर दी |तब अल्लाह तआला ने हज़रत हूद (अ०स०) को उस कौम में पैगम्बर बना कर भेजा |हज़रत हूद (अ०स०) सुर्ख व सफ़ेद रंगत वाले खुबसूरत और इज्ज़तदार शख्स थे, उनकी दाड़ी बड़ी थी |   हज़रत हूद (अ०स०) की तबलीग –   हज़रत हूद (अ०स०) ने अपनी कौम को अल्लाह तआला की तौहीद और इबादत के लिए दावत दी और लोगों को  जुल्म व जब्र से म किया लेकिन कौम ए आद ने एक न मानी और सख्ती के साथ झुटलाया और गुरुर और घमंड के साथ   कहने लगे -जो के कुरान मजीद में अल्लाह रब्बुल इज्ज़त फरमाते हैं – ” मन अशद्दु मिन्ना कुव्वत ”     ” हम में से ज्यादा कौन है कुव्वत में आगे “ इस सब के बावजूद हज़रत हूद (अ०स०) लगातार इस्लाम...

Allah ki Kitabein - 4 मशहूर आसमानी किताबें

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بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ ” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   अल्लाह तआला की किताबें – अल्लाह तआला की छोटी – बड़ी बहुत सी किताबें पैगम्बरों पर नाजिल हुई हैं,बड़ी किताबों को किताब और छोटी किताबों को सहीफ़े कहते हैं |आसमानी किताबों में सबसे मशहूर 4 किताबें हैं |   4 मशहूर आसमानी किताबें –   (1) तौरेत – हज़रत मूसा (अ०स०) पर नाजिल हुई| (2) ज़बूर – हज़रत दाऊद (अ०स०) पर नाजिल हुई | (3) इंजील – हज़रत इसा (अ०स०) पर नाजिल हुई | (4) कुरआन – हज़रत मुहम्मद (स०अ०) पर नाजिल हुई |     सहिफें – सहिफों की तादाद अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ही खूब जानते हैं |लेकिन चंद सहिफें हज़रत आदम (अ०स०) पर और चंद हज़रत सीश (अ०स०) पर और चंद हज़रत इब्राहीम (अ०स०) पर नाजिल हुइ हैं|इनके अलावा और भी सहिफें हैं जो बाज़ पैगम्बरों पर नाजिल हुइ |   तौरेत , ज़बूर  और इन्जील के बारे में – तौरेत के बारे में अल्लाह तआला ने कुरआन मजीद में इरशाद फ़रमाया –  ” बेशक हमने तौरेत उतारी इसमें हिदायत और नूर है ...

Farishton ka Bayan - फरिश्तों की दुनिया हिंदी

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फ़रिश्ते कौन हैं ? फ़रिश्ते यानी (मलईका) अल्लाह तआला की मख्लुख हैं |नूर से पैदा हुए हैं,हमारी नजरों से गायब हैं|ना मर्द हैं और ना ही औरत,ज़र्रा बराबर भी अल्लाह तआला की नाफ़रमानी नही करते|जिस कामों पर अल्लाह तआला ने उन्हें मुक़र्रर कर दिया है उन्हीं में लगे रहते हैं,कोई सजदे में है तो कोई रुकुह में, हर घड़ी अल्लाह की हमद व सना में होते हैं |   फरिश्तों की तादाद – फरिश्तों की गिनती अल्लाह रब्बुल इज्ज़त के सिवा कोई नही जनता,हदीस शरीफ में है के असमान व ज़मीन में कोई एक बालिश की भी जगह  खाली नही है जहाँ फ़रिश्ते अपने पेशानी सजदे में न रखी हो | अलबत्ता चार मशहूर फ़रिश्ते हैं जिनका ज़िक्र कुरान व हदीसों से मालूम होता है | 4 मशहूर अरिश्तें – (1) हज़रत जिब्रील (अ०स०) – हज़रत जब्रील (अ०स०) का काम, अल्लाह  रब्बुल इज्ज़त की किताबों और अह्काम व पैग़ाम, पैगम्बरों के पास लाने का था  | फरिश्तों में सबसे अफज़ल हैं | (2) हज़रत इसराफ़ील (अ०स०) –   हज़रत इस्राफ़ील (अ०स०) का काम,क़यामत में सूर फुकने का है |हमेशा सूर को अपने मुह से लगाये रहते हैं के कब अल्लाह रब्बुल इज्ज़त का सूर फुकने का हुक्म आ ज...

Dojakh ka bayan - दोजख का अज़ाब हिंदी

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  दोजख क्या है –  दोजख एक बहुत बुरा ठिकाना है जो काफ़िर और नाफर्मानो के लिए अल्लाह तआला ने तैयार की है | दोज़ख एक गढ़ा है,इसमें घुप अँधेरी  और तेज़ आग है | काफिर  इसमें हमेश रहेंगे और जब भी निकलन चाहेंगे तो उनको वापस आग की तरफ धकेल दिया जायेगा |   अल्लाह तआला का इरशाद –  ” और बेशक सरकशों के लिए बहुत ही बुरा ठिकाना है,यानी दोजख जिसमें वे गिरेंगे |वह कैसी बुरी जगह है | यह खौलता हुआ पानी और पीप (मौजूद) है, ये लोग उसको चखें और इसके अलावा और भी इस किस्म की मुख्तलिफ नागवार चीजें है (उसको भी चखे ” (सुरह साद )   ” बेशक दोजख में बड़े गुनाहगारों के लिए जक्कुम का दरख़्त ख़ुराक है और वह सुरत में काले तेल की तलछट की तरह होगा जो पेट में एसा जोश मारेगा जैसे खौलता हुआ गरम पानी और फरिश्तों को  हुक्म होगा  कि इस मुज़रिम को पकड़ो और घसीटते हुए दोजख के बीचों बीच धकेल दो और उसके सर पर तकलीफ देने वाला गरम पानी छोड़ दो (और तमस्स्खुर करते हुए कहा जायेगा) ले चख ले | तू बड़ा बाइज्ज़त व मुकर्रम है,यानी तू दुनिया में बड़ा इज्ज़त वाला समझा जाता था,इसलिए मेरे हुक्मों पर चलने में शर्म म...

Jannat ka Bayan - जन्नत के हसीन मनाज़िर

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بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ ” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   जन्नत का बयान –  जन्नत एक आराम व सुकून की जगह है जो सिर्फ मोमिन (यानी ईमान वाले) के  लिए अल्लाह तआला ने बनाई है | बाज़ रिवायतों से पता चलता है के जन्नत एक चटियल मैदान है जो के अल्लाह के ज़िक्र और नेक अमाल से जन्नत के खली जगहों को भर सकते है |जन्नत में बुढ़ापा,बीमारी और मौत नही होगी |   अल्लाह तआला का इरशाद है – ” और जन्नत में तुम्हारे लिए हर वह चीज़ मौजूद होगी जिसका तुम्हारा दिल चाहेगा और जो तुम वहाँ मांगोगे,मिलेगा | यह सब कुछ उस जात की तरफ से मेहमानी के तौर पर होगा,जो बहुत बख्शने वाले,निहायत मेहरबान हैं ” (सुरह – हा मीम सजदा) ”  (अच्छे अमल करने वालों के लिए) जन्नत में हमेशा रहने के बाग़ होंगे ,जिसमे वे लोग दाखिल होंगे और उनको सोने के कंगन और मोती पहनाये जायेंगे और उनका लिबास रेशम का होगा और वे उन बागों में दाखिल होकर कहेंगे कि अल्लाह तआला का लाख लाख शुक्र है जिसने हमेशा – हमेश के लिए हर क़िस्म का रंज व गम दूर किया | बेशक हमारे रब बड़े बख्शने व...

Janaze ki namaz ka Tarika - नमाज़ ए जनाज़ा

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بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ ” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   जनाज़े की नमाज़ – जनाज़े की नमाज़ फ़र्ज़ ए किफ़ाया है यानी एक ने भी पढ़ ली तो सब बरी उल जिम्मा हो गए,वरना जिस जिस को खबर पहुंची और न पढी तो गुनाहगार होगा और इसकी फर्ज़ियत का जो इनकार करे वो काफिर है |   इसके मुताल्लिक हदीस – हज़रत अली (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – मुसलमान के दुसरे मुसलमान पर 6 हुकुक हैं – जब मुलाक़ात हो तो उसको सलाम करे जब दावत दे तो उसकी दावत कुबूल करे जब छिक आए (और अल हम्दु लिल्लाह ) कहे तो उसके जवाब में (यरहमुकल्लाह) कहे जब बीमार हो तो उसकी ईयादत करे जब इंतकाल कर जाये तो उसके जनाज़े के साथ जाये और उसके लिए वही पसंद करे जो अपने लिए पसंद करता है |     जनाज़ा की नमाज़ का तरीका –  जनाज़े की नमाज़ में कुल 4 तकबीर हैं – (1) पहली तकबीर – सना पढना  (2) दूसरी तकबीर – दरूद शरीफ़ पढना  (3) तीसरी तकबीर – मय्यत की दुआ  (4) चौथी तकबीर – दोनों कन्धों पर सलाम फेरना     नमाज़ ए जनाज़ा का ...

Witr ki Namaz ka Tarika - वित्र की नमाज़

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वित्र की नमाज़ –   वित्र की नमाज़ वाजिब है अगर किसी वजह से वक़्त में वित्र नही पढ़ा तो क़ज़ा वाजिब है | वित्र का वक़्त ईशा से सुबह सादिक तक रहता है | वित्र का अफज़ल वक़्त रात के आखरी वक़्त यानी जिस वक़्त तहज्जुद पढतें है |अगर नींद का गलबा हो,रात के आखरी वक़्त नही उठ सकते तो ईशा  के नमाज़ के बाद  पढ़ सकते हैं|   तरीका – वित्र की तीन रकातें हैं | दो रकात पर बैठे और सिर्फ अततहियात पढ़कर तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाए | तीसरी रकात में सुरह फ़ातिहा और कोई सुरह पढने के बाद दोनों हाथों को काँधे तक उठाते हुए अल्लाह हु अकबर कहें और फिर हाथ बांध लें और दुआ ए क़ुनूत पढ़े |         ( हिंदी )   अल्लाह हुम्मा  इन्नी नस्तइनुका व नस्तगफेरुका  व नुमेनु  बिका वना तवक्कलू अलैका व नुस्नी अलैकल खैर व नश कुरुका वला नक्फुरुका व नाख्लओ व नतरुकू मई यफजुरुका अल्लाहहुम्मा ईयका नाअबुदू वलक नुसल्ली व नसजुदू व इलैका नसह़ा व नहफेदु व नरजू रहमतक व नख्शा अज़ाबक इन्ना  अज़ाबक बिल कुफफारी मूलहिक़   तर्जुमा – ए अल्लाह ! हम तुझ से मदद चाहते हैं और तुझ से ही बख्शीश मांगते हैं और तुझ पर ईमान लाते हैं औ...

Junaid Jumshed Naat Lyrics - फेमस नात

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  तीन फेमस जुनैद जमशेद नात –   जुनैद  जमशेद पाकिस्तान के मशहूर सिंगर और एक्टर थे ,अपनी शुरुवाती ज़न्दगी में नाच – गाने में मुलाविस थे,फिर अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने उनको हिदायत से सरफ़राज़ किया  और गाना – बजाने को हमेशा ले लिए तौबा कर दिया |दीनी ज़िन्दगी में बहुत से नात -नज़म पढ़े जो पूरी दुनिया में लोगों ने पसंद किया  अल्लाह के रास्ते में जब एक इस्तमा से लौट रहे थे तो एक  प्लेन क्रेश में वो शहीद हो गए | (अल्लाह उनकी मगफिरत फरमाए )   नात लिरिक्स  –  (1) मैं तो उम्मती हु ए शाहे उमम –   मैं तो उम्मती हूँ ए शाहे उमम मैं तो उम्मती हूँ ए शाहे उमम   कर दे मेरे आका अब नज़रे करम मैं तो बे सहारा हूँ दामन भी है ख़ाली नबियों के नबी तेरी शान है निराली   मैं तो उम्मती हूँ ए शाहे उमम कर दे मेरे आका अब नज़रे करम   ग़म के अंधेरों ने यूँ घेरा हुवा है आका दुशवार अब जीना मेरा हुवा है बिगड़ी बना दो मेरी तैबा के वाली नबियों के नबी तेरी शान है निराली   मैं तो उम्मती हूँ ए शाहे उमम कर दे मेरे आका अब नज़रे करम   जिसको बुलाया गया वोही अरशे बरीं है आप के...

Qabr ki Pehli Raat - क़ब्र का अज़ाब हिंदी

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بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ ” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “ मौत क्या है – अल्लाह तआला का इरशाद है – كُلُّ نَفْسٍ ذَآئِقَةُ الْمَوْت हर नफस को मौत का मज़ा चखना है |   हर शख्स (मर्द या औरत ) की उमर मुकर्रार  है,न उससे घट सकती है और ना बढ़ सकती है | जब ज़िन्दगी का वक़्त पूरा होता है तो हज़रत इजराईल (अ०स०) रूह निकालने के लिए आते हैं |उस वक़्त मरने वाले को दायें – बायें जहान तक नज़र जाती है फ़रिश्ते ही फ़रिश्ते दिखाई देते हैं| मोमिन के पास रहमत के फरिश्तें होते हैं और ब-आसानी रूह निकल जाती है जैसे आटे से बाल निकाला जाता है | और अगर  मरने वाला नाफरमान या काफिर होता है तो अज़ाब के फ़रिश्ते नज़र आते हैं और रूह बहुत सख्ती से निकलती है | फ़रिश्ते के दिखने  के बाद तौबा कुबूल नही क्युकि उस वक़्त छुपी बातें वाजेह हो जातीं हैं |   मौत के मुताल्लिक हदीस – जब इंसान मर जाता है तो उस आलम से मुन्ताकिल हो कर आलमे बरज़ख में पहुच जाता है खवाह  अभी उसे  कब्र में भी न रखा जाये या आग में भी न जलाया जाये|उस में समझ और शाउर होता है और अज़ाब के दु...

Zikr e ilahi ki fazilat Hindi - फ़ज़ाइले ज़िक्र

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بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ ” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “   अल्लाह तआला के ज़िक्र के फज़ाईल –  कुरआनी आयतें – ” अल्लाह तआला का इरशाद है – तुम मुझे याद रखो,मैं तुम्हे याद रखूंगा | यानी दुनिया व आखिरत में मेरी इनायात और अहसानात तुम्हारे साथ रहेंगे “(सुरह – बकरह ) ” एक जगह इरशाद फ़रमाया – खूब समझ लो,अल्लाह तआला के ज़िक्र ही से दिलों को इत्मीनान हुआ करता है ” (सुरह -राद ) ” अल्लाह तआला का इरशाद है – अक़लमंद वे लोग हैं जो खड़े और बैठे और लेटे,हर हाल में अल्लाह तआला को याद किया करते हैं ” ( सुरह – आले इमरान ) ” अल्लाह तआला का इरशाद है – तो अल्लाह तआला की तस्बीह हर वक़्त किया करो, खुसूसन शाम के वक़्त और सुबह के वक़्त “ (सुरह रूम)   ज़िक्र के मुताल्लिक हदीसें – हज़रत मुआज़ बिन जबल (रज़ी०) रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह  (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जन्नत वालों को जन्नत में जाने के बाद दुनिया की किसी चीज़ का अफ़सोस नही होगा सिवाए उस घडी के जो दुन...

Hazrat Abu Hurairah (R.A) ki Riwayat Hadeesein

  हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) के बारे में – हज़रत अबू हुरौरह (रज़ी०) एक मशहूर सहाबिये रसूल थे | जिन्होंने तक़रीबन 5300 से ज्यादा हदीसें हुजुर अकरम (स०अ०) से नक़ल की थीं|ज़माने जाहिलियत में आप (रज़ी०) का अबुदुस समस था |इम्मान लाने के नबी करीम (स०अ०) ने आप (रज़ी०) का नाम अब्दुर -रहमान रख दिया,आप यमन के रहने वाले थे और आप की कुन्नियत हुरैरह है| हज़रत अबू हुरौरह (रज़ी०) को यादाश्त कमज़ोर थी तो आप (रज़ी०) ने नबी करीम (स०अ०) से इसकी शिकायत की,नबी करीम (स०अ०) ने हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) को अपनी चादर फ़ैलाने को कहा,आप (रज़ी०) ने हुक्म की तामीर की फिर नबी करीम (स०अ०) ने फ़रमाया इससे अपने सीने से लगाओ,फिर अबू हुरैरह (रज़ी०) ने अपने सीने से लगाए,फिर वह कभी भी कोई बात नही भूले |    आप (रज़ी०) की रिवायत हदीसें –   कालिमा तय्यब  के मुताल्लिक हदीसें –   1 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – ईमान की 70 से ज्यादा शाखें है |उनमें सबसे अफज़ल शाख़ (ला इला – ह – इल्लललाह ) का कहना है और अदना शाख तकलीफ देने वाली चीजों का रास्ते से हटाना है और...

Islamic Quiz Part 3 - इस्लामिक सवाल जवाब

    इस्लामिक क्विज पार्ट -3  इस्लामिक क्विज पार्ट -3  में कुछ मजीद सवाल – जवाब  पेश करते हैं  , जो के  (Competitions Exam ) के लिए बहुत मददगार है |और साथ ही इस्लामिक मालूमात में इजाफा भी होगा इंशाअल्लाह|   इस पार्ट में ” कुरान मजीद “ के बारे में सवाब जवाब है |   सवाल – किस सुरह को बाब -अल् कुरआन कहते हैं ? जवाब – सुरह फ़ातिहा सवाल – कुराने पाक की सबसे लम्बी सूरत कौन सी है ? जवाब – सुरह बकरह सवाल – सुरह नमल में बिस्मिल्लाह कितनी बार आई है ? जवाब – दो बार (एक शुरू में और एक आखिर में ) सवाल – किस सूरत को कुरान का दिल कहते हैं ? जवाब – सुरह यासीन  सवाल – हज़रत ज़ैद बिन हारिस का नाम कुरान पाक के किस सूरत में आया है ? जवाब – सुरह अज़ाब सवाल – खाने ए काबा को कुरान में किस नाम से पुकारा गया है ? जवाब – मस्जिद ए हराम  सवाल – कुरान ए पाक में वाकिया ए मेराज का ज़िक्र किस सूरत में आया है ? जवाब – सुरह बनी इस्राईल  सवाल – क़ुराने पाक की कुल कितनी सूरतें  हैं ? जवाब – 114...

Nabi S.A.W ke 4 khalifa - खुलफ़ा ए राशिदीन

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  खुलफ़ा ए रशिदीन – ख़लीफा के माना  ” अल्लाह के नाएब “ है,यानी पूरी इस्लामी हुकूमत  को किसी एक मुक़र्रर शख्स के ज़ेरे साया देना| जब तक नबी करीम (स०अ०) दुनिया में थे, तब तक आप (स०अ०) इस्लामी हुकूमत के निगेबान थे,लेकिन जब आप दुनिया से रुखसत फरमा गए तो किसी न किसी को इस्लाम की बागडोर संभालनी थी तो इसलिए आप (स०अ०) के बाद 4 मशहूर साहबा (रज़ी०) को मुन्तखब किया गया | खुलफ़ा ए रशिदीन का मतलब नेक खलीफा यानी जिनके जैसा पुरे दुनिया में मिलना नामुमकिन है |   4 खुलफ़ा ए रशिदीन –   (1) हज़रत अबू बक्र सिद्दीक (रज़ी०) (2) हज़रत उमर फ़ारूक़ (रज़ी०) (3) हज़रत उस्माने गनी (रज़ी०)   (4) हज़रत अली ए मुर्तज़ा (रज़ी०)   (1) हज़रत अबू बक्र सिद्दीक (रज़ी०) – हज़रत अबू बक्र (रज़ी०) का नाम अब्दुल्लाह इबने कहाफ़ा था|कुन्नियत उनकी अबू -बक्र और लक़ब -सिद्दीक था|रसूल अल्लाह (स०अ०) के वफात के बाद सहाबा (रज़ी०) ने उनसे बैत की और मुहाजिरीन और अंसार ने उन्हें ख़लीफा मुक़र्रर किया |नबी करीम (स०अ०) के नबूवत के एलान के बाद सबसे पहले शख्स हैं, जो इस्लाम में दाख़िल  हुए |  हज़रत अबू बक्र (रज़ी०) हमेशा लोगों से...