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Jawnar ke Huqooq in Hindi - जावरों के हुक़ुक़

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   जानवरों  के हुक़ूक़  – इस्लाम में  जानवरों के साथ कैसा  बरताव करना चाहिए,ये तफ्सील से बताया गया है | बेज़बान जानवर जो कुछ बोलते नहीं और  मुतालबा भी नहीं करते उसका ख्याल करना हमारे लिए ज़रूरी है | इसके मुताल्लिक चंद हदीसें – हजरत इब्ने उमर रज़ि और हज़रत अबू हुरैरह रजि दोनों ने हुजूर सल्ल का यह इर्शाद नकल किया कि एक औरत को इस पर अज़ाब किया गया कि उसने एक बिल्ली को बांध रखा था, जो भूख की वजह से मर गयी, न तो उसने उसको खाने को दिया न उसको छोड़ा कि वह जमीन के जानवरों (चूहे वगैरह) से अपना पेट भर लेती। हुजूरे अक्स सल्ल. से मुख्तलिफ अहादीस में मुख्तलिफ उन्वानात से यह मज़मून  नकल किया गया कि इन जानवारों के बारे में अल्लाह तआला से डरते रहा करो। गौर करने की  बात – जो लोग जानवरों को पालते हैं, उनकी जिम्मेदारी सख्त है कि वे बे-ज़बान जानवर अपनी जरूरियात को जाहिर भी नहीं कर सकते ऐसी हालत में उनके खाने पीने को खबरगीरी बहुत अहम और जरूरी है। इसमें बुख़्ल  से  काम लेना अपने आप को अज़ाब में मुब्तला करने के लिए तैय
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Bina hisab ke Jannat mein jane wale - सीधा जन्नत या जहन्नुम

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   शीधा जन्नत या जहन्नुम – आखिरत के दिन कुछ लोग एसे भी होंगे जो बगैर हिसाब व किताब के जन्नत में और बिना हिसाब के दोज़ख में डाल दिए जायेंगे, उसे बाद हिसाब किताब का सिलसिला शुरू होगा |   बिना हिसाब के जन्नत में जाने वाले – हज़रत  अस्मा रज़ि० कहती हैं, मैंने हुज़ूर सल्ल० से सुना कि क़ियामत के दिन सारे आदमी एक जगह जमा होंगे और फ़रिश्ता जो भी आवाज़ देगा, सबको सुनायी देगी। उस वक़्त एलान होगा कहां हैं वे लोग जो राहत और तकलीफ में हर हाल में अल्लाह की हम्द करते थे। यह सुन कर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी दूसरी मर्तबा – फिर एलान होगा, कहां हैं वे लोग जो रातों में इबादत में मश्गूल रहते थे और उनके पहलू बिस्तरों से दूर रहते थे। फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी। तीसरी मर्तबा – फिर एलान होगा, कहाँ हैं वे लोग जिनको  तिजारत और खरीद व फ़रोख़्त अल्लाह के ज़िक्र से ग़ाफ़िल नहीं करती फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी। चौ

shabe meraj ki Haqeeqat - शबे मेराज का सफर

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   शबे मेराज के बारे में – अल्लाह तआला ने नबी करीम (स०अ०)  को एक ख़ास सफर कराया के मक्का से मस्जिद ए अक्सा और फिर सात आसमानों से गुजर कर सिद्रातुल मूनताहा से होते हुए अपने पास बुलाया । यह आप (स०अ०)  के लिए खास एजाज व सआदत की बात है। इसके मुतल्लिक कुरान में जिक्र – سُبْحَـٰنَ ٱلَّذِىٓ أَسْرَىٰ بِعَبْدِهِۦ لَيْلًۭا مِّنَ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ إِلَى ٱلْمَسْجِدِ ٱلْأَقْصَا ٱلَّذِى بَـٰرَكْنَا حَوْلَهُۥ لِنُرِيَهُۥ مِنْ ءَايَـٰتِنَآ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْبَصِيرُ ١ तर्जुमा – पाक है वहज़ात जो अपने बन्दे को रातों रात मस्जिदे हराम से मस्जिदे अक्सा तक ले गई जिसके माहौल पर हमने बरकतें नाज़िल की हैं | ताके हम उन्हें अपनी कुछ निशानियाँ देखाएं | बेशक वह हर बात सुनने वाली, हर चीज़ देखने वाली ज़ात है | मेराज के सफर का आगाज़ – नबी करीम (स०अ०)  हजरत उम्मे हानी के घर तसरीफ फरमा थे । अचानक आप ने देखा के ऊपर छत फटी और दो आदमी आए, आप को उठाया और आपका सीना चाक किया और सोने की तश्त पर कल्ब को रखा  फिर ज़म-ज़म

Islamic Quiz in Hindi Part -8 - इस्लामिक सवाल जवाब

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     इस्लामिक क्विज पार्ट – 8 इस्लामिक क्विज पार्ट -7  में कुछ और अहम  सवाल – जवाब हैं  , जो के  (Competitions Exam ) के लिए बहुत मददगार है और साथ ही इस्लामिक मालूमात में इजाफा भी होगा इंशा अल्लाह  |   इस पार्ट में  ” आसमानी किताबें “   के बारे में सवाब जवाब है |   सवाल – आसमानी किताबों की तादाद कितनी हैं ? जवाब – अल्लाह तआला ने अंबिया (अ०स०) पर कुल 104 किताबें (जिनमे 100 सहिफें और 4 किताबें हैं  ) नाज़िल फरमाई | सवाल – आसमानी किताबों का इनकार करने वाला कैसा है ? जवाब – आसमानी किताबों का इनकार करने वाला मुसलमान नहीं है | सवाल – 4 मशहूर आसमानी किताबों के नाम क्या हैं और किन नबियों पर नाजिल हुईं ? जवाब – (1) तौरात –हज़रत मूसा (अ०स०) पर  (2) ज़बूर – हज़रत दाऊद (अ०स०) पर (3) इंजील – हज़रत ईसा (अ०स०) पर  (4) कुरआन मजीद – हज़रत मुहम्मद (स०अ०) पर सवाल – 4 अंबियाओं के अलावा और कितने रसूलों पर किताबें (सईफें) नाजिल हुईं? जवाब – अल्लाह तआला ने 4 अन्बियों के आलावा और रसूलों पर भी किताबें (सईफे ) नाजिल फरम

Qissa Hazrat Yusuf a.s – हज़रत युसूफ अ०स० का क़िस्सा

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   हज़रत युसूफ (अ०स०) – मशहूर नबियों में हज़रत युसूफ (अ०स०) का नाम भी शामिल है, जिसका ज़िक्र कुरआन मजीद के (सुरह युसूफ) में तफ़सीर से आया है | हज़रत युसूफ (अ०स०) के किस्से को कुरआन मजीद में अहसानुल क़सस (सबसे अच्छा क़िस्सा ) कहा गया है | हज़रत युसूफ (अ०स०) एक एसे नबी हैं जिनके बाप,दादा,परदादा सब पैगम्बर थे | कुरआन मजीद में ज़िक्र – कुरआन मजीद की बारवी सूरत और पारह 12 और 13 में तफसील से हज़रत युसूफ (अ०स०) का ज़िक्र आया है | نَحْنُ نَقُصُّ عَلَيْكَ أَحْسَنَ ٱلْقَصَصِ بِمَآ أَوْحَيْنَآ إِلَيْكَ هَـٰذَا ٱلْقُرْءَانَ وَإِن كُنتَ مِن قَبْلِهِۦ لَمِنَ ٱلْغَـٰفِلِينَ तर्जुमा – (ए पैगम्बर ) हम ने तुम पर ये कुरआन जो वहीह के ज़रिये भेजा है इस के ज़रिये हम तुम्हे एक बेहतरीन वाकिया सुनाते हैं, जबकि तुम इस से पहले (वाक़िये) से बिलकुल बेखबर थे |   नबी पाक (स०अ०) का इरशाद – हमारे प्यारे नबी (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया “ करीम इब्ने करीम,इब्ने करीम “ यानी करीम का बेटा,करीम का बेटा |   हज़रत युसूफ (अ०स०) का बचपन और ख़वाब – हज़रत

Kon log roza Tod sakte hain - रोजा तोड़ने की इजाज़त

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ” अल्लाह ताआला का बंदों पर अहसान – अल्लाह तआला अपने बंदों पर बड़ा शफीक वा मेहरबान है। उसने अपनी रहमत से इंसानों को ऐसी ही चीजों का मोकल्लफ बनाया है जि से बा-आसानी अंजाम दे सके। अल्लाह तआला ने अपनी मेहरबानी व रहमत से बाज ऐसे लोगों को रमजान में रोजा तोड़ने की इजाज़त दी है । जिनको कोई ऐसा शरई उज्र लाहिक हो जिसकी वजह से उनके लिए रोजा रखना दुश्वार हो | कुरान मजीद में इर्शदे बारी तआला  – अल्लाह तआला किसी जान को उसकी ताकत से ज्यादा तकलीफ नहीं देता (सुरह बकरह)   जिन लोगों को रोज़ा तोड़ने की इज़ाज़त है वो ये हैं – (1) बड़े बूढ़े और दाइमुल मरीज़ – बहुत बूढ़े मर्द, बूढ़ी औरतें और ऐसे दाइमूल मरीज लोग जिनके सेहतमंद होने की उम्मीद खत्म हो चुकी है। यह लोग अगर रोजा रखने में दुश्वारियां और परेशानी महसूस करें और यह अंदाजा हो कि आइंदा कभी भी उन्हें रोजा क़जा करने की ताकत हासिल ना हो सकेगी तो शरीयत ने ऐसे लोगों को रुखसत दी है कि वह रोजा ना रखें और हर रोजा के बदले एक मिस्कीन को खाना खिलाएं । उन्हें क़जा करने  की जरू

Khajur(Dates) ke Fayde – खजूर के फ़ायदे

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   खजूर (Dates) – अल्लाह तआला ने हमें बेशुमार नेमतें से नवाज़ा है, उन नेमतों में से खजूर एक अहम्  नेमत है जिसका ज़िक्र हदीसों में कसरत से आया है | नबी करीम (स०अ०) के ज़माने में कसरत से खजूर के बागात हुआ करतीं थीं | ये नबी करीम (स०अ०) की दुआओ का सिला है के उस ज़माने से आज भी अरब में कसरत से पुरे साल खजूरों की खेती होती है और कभी कमी ना आई |   इसके मुताल्लिक हदीस – हज़रत साद बिन अबी वक्कास (रज़ी०) से मय्सर है के वह अपने वालिद गरामी से रिवायत करते हैं के नबी (स०अ०) ने फ़रमाया – जिस शख्स ने निहार मुह अज्वा खजूर के सात दाने खाए उसको उस दिन में ना तो किसी ज़हर से और ना किसी जादू से नुक्सान पहुंचेगा | (मुस्लिम ,अबू दाऊद) उपर के हदीस में मसनदे अहमद ने इजाफा किया है के – और अगर उसने ये खजूरें शाम को खाई तो किसी चीज़ से सुबह तक कोई नुक्सान नहीं होगा |   खजूर के फायदे – (1) खजूर में ज्यादा मिकदार में पोटाशियम होता है जो के बदन की कमज़ोरी में बहुत फायदेमंद है | रोज़ाना एक खजूर का दूध के साथ खाना बदन की कमज़ोरी को

Surah Takasur tafseer – सुरह तकासुर तफ़सीर

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   सुरह तकासुर फ़ज़ीलत – हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी०) से रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया के – तुम में से कोई ये नहीं कर सकता के रोज़ाना एक हज़ार आयतें कुरआन पाक की पढ़ लिया करे ? सहाबा (रज़ी०) ने अर्ज़ किया हुज़ूर (स०अ०) ! किस में ये ताक़त है के रोज़ाना एक हज़ार आयतें पढ़े ? (यानी ये बात हमारी इस्ततात से बाहर है ), आप (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – क्या तुम से कोई इतना नहीं कर सकता के अल्हकुमुत-तकासुर पढ़ लिया करे |   तफ़सीर सुरह तकासुर (102) – بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم (1) जयादती की चाहत ने तुम्हे गाफिल कर दिया तफ़सीर – हर वह चीज़ जिस की कसरत इंसान को महबूब हो और कसरत के हुसूल की कोशिश व खवाइश उसे अल्लाह के अहकाम और आखिरत से गाफ़िल कर दे | यहाँ अल्लाह तआला इंसान की कमजोरी को बयान कर रहा है, जिस में इंसानों की अक्सरियत हर दौर में मुब्तला रही है |   (2) यहाँ तक के तुम क़बर्स्तान जा पहुंचे तफ़सीर – इस का मतलब है के हुसूल कसरत के लिए मेहनत करते करते, तुम्हें मौत आ गई और तुम क़ब्रों में जा पहुंचे |

Islamic Quiz in Hindi - इस्लामिक सवाल जवाब

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     इस्लामिक क्विज पार्ट – 7 इस्लामिक क्विज पार्ट -7  में कुछ और अहम  सवाल – जवाब हैं  , जो के  (Competitions Exam ) के लिए बहुत मददगार है और साथ ही इस्लामिक मालूमात में इजाफा भी होगा इंशा अल्लाह  |   इस पार्ट में  ” इस्लामी जंग (लड़ाई)   ”  के बारे में सवाब जवाब है |   सवाल – इस्लाम के मशहूर जंगें कौन कौन सी हुईं ? जवाब – (1) जंग ए बदर (2) जंग ए उहद (3) गजवा ए खंदक (4) सुलह हुदैबिया (5) फतह ए मक्का (6) गजवा ए हुनैन (7) गजवा ए तबूक (8) जंग ए खैबर सवाल – इस्लाम की सबसे पहली जंग कौन सी है ? जवाब – जंग ए बदर सवाल – जंग ए बदर में मुसलमानों की कुल तादात कितनी थीं ? जवाब – 313 सवाल – जंग ए बदर में कुफ्फार कितने थे ? जवाब – 1000 सवाल – जंग ए बदर की लडाई कब हुई ? जवाब – 17 रमज़ानुल मुबारक सन 2 हिजरी सवाल – अल्लाह तआला ने जंग ए बदर में किस तरह मुसलमानों की मदद फरमाई ? जवाब – नबी करीम (स०अ०) की दुआ पर अल्लाह तआला ने फरिश्तों का एक लश्कर भेज कर मुसलमानों की मदद फरमाई सवाल – जंग ए बदर किस तारिख को फत

Aulad ki tarbiyat – औलाद की तरबियत कैसे करें

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश

hazrat Musa a.s ka qissa - क़िस्सा हज़रत मूसा अ०स०

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     हज़रत मूसा (अ०स०) – हज़रत मूसा (अ०स०) अल्लाह के मुखलिस पैगंबर हैं | उनका लक़ब कलीमुल्लाह है, क्युकि वह अल्लाह तआला से हम-कलाम करते थे | आप (अ०स०) के वालिद का नाम इमरान (अ०स०) और भाई का नाम हारुन (अ०स०) था | आप में ताक़त और कुव्वत 10 आदमियों के बराबर थी |   हज़रत मूसा (अ०स०) के पैदाइश से पहले – मूसा (अ०स०) के पैदाइश से पहले एक मगरूर और ज़ालिम बादशाह था जिसका नाम वलीद बिन मुश्अब (फिरौन) था, बनी इस्राईल के कौम पर ज़ुल्म व सितम करता था और उनकों गुलामों की तरह काम लेता था | फिरोन को मानने वाले खिब्ती कहलाते थे और वो एश व आराम की ज़िन्दगी गुज़ारा करते थे | एक रोज़ फिरौन ने खवाब देखा के बैतूल मुक़द्दस से मिस्र के जानिब एक आग बढ़ता चला आ रहा है, वो आग तमाम मिस्र वालों को जला डालता है मगर इस आग से बनी इस्राईल के घर मज्फुज़ रहते हैं | फिरौन ने इस खवाब की ताबीर अपने पास मौजुद कहिनों से पूछी तो उन्होंने बताया के बनी इस्राईल में एक एसा बच्चा पैदा होने वाला है जिसकी वजह से मिस्रियों (खिब्तियों) की हलाकत होगी |  

Islamic Months and Importance - इस्लामी महीने और फ़ज़ीलत

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     इस्लामी हिजरी (कमरी महीने) – इस्लामिक महीनों के नाम हर मुसलमान को जानना और याद करना ज़रूरी है | इस्लामी महीनों की शुरुवात नबी करीम (स०अ०) के मक्का से मदीना हिजरत करने के बाद हुई, हिजरी महीने  की शुरुवात के वक़्त हज़रत उमर (रज़ी०) ख़लीफा थे | हज़रत अली (रज़ी०) ने मशवरा दिया की अरबी महीने का आगाज़ आप (स०अ०) के हिजरत से शुरू हो, जो के हज़रत उमर (रज़ी०) ने राय को क़ुबूल फरमाई |   इस्लामी महीनों के नाम और फ़ज़ीलत – मुहर्रम – इस्लामी महीने की शुरुवात मुहर्रम से होती है | अल्लाह तआला ने जो 4 महीने हुरमत के रखे हैं उनमे से एक मुहर्रम भी है | माहे मुहर्रम की फ़ज़ीलत और खुसुसियात क़दीम ज़माने से चली आ रही है | मुहर्रम के महीने में बिद्दत और खुराफ़ात से हम सबको बचना चाहिए |   मुहर्रम महीने में होने वाले वाक़यात – (1) मुहर्रम के महीने में कर्बला का वाकया पेश आया के हज़रत हुसैन (रज़ी०) को शहीद कर दिया गया | (2) इसी महीने में अल्लाह तआला ने हज़रत मूसा (अ०स०) और बनी इसराईल को फिरओन से निज़ात अता फरमाई | (3) मुहर्रम के मही

Geebat karna aur uski Saza – गीबत करने का अंजाम

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   गीबत – गीबत यानी किसी के पीठ पीछे एसी बात करना के अगर वो उस बात को सुनता तो उसको बुरा लगता |  गीबत करना गुनाहे कबीरा है और शिरियत में निहायत नापसंदीदा अमल है और इसके करने का अज़ाब बहुत शख्त है | अल्लाह तआला का इरशाद – يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱجْتَنِبُوا۟ كَثِيرًا مِّنَ ٱلظَّنِّ إِنَّ بَعْضَ ٱلظَّنِّ إِثْمٌ ۖ وَلَا تَجَسَّسُوا۟ وَلَا يَغْتَب بَّعْضُكُم بَعْضًا ۚ أَيُحِبُّ أَحَدُكُمْ أَن يَأْكُلَ لَحْمَ أَخِيهِ مَيْتًا فَكَرِهْتُمُوهُ ۚ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ تَوَّابٌ رَّحِيمٌ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! बहुत से गुमानों से बचो, बाज़ गुमान गुनाह होते हैं और किसी की टोह में ना लगो और एक दुसरे की गीबत ना करो | क्या तुम में से कोई ये पसंद करेगा के वह अपने मुर्दे भाई का गोश्त खाए ? इस से तो खुद तुम नफरत करते हो और अल्लाह से डरो, बेशक अल्लाह बड़ा तौबा कुबूल करने वाला, बहुत मेहरबान है | (सुरह हुजरात आयत -12)   इसके मुताल्लिक चंद हदीसें – नबी करीम (स०अ०) ने फ़रमाया – अपने भाई के उ

Qurbani ki Fazilat – क़ुरबानी के अहम् मसाइल

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   क़ुरबानी – क़ुरबानी करना वाज़िब है | इसका सिलसिला क़दीम ज़माने से चला आ रहा है यानी हज़रत आदम (अ०स०) के ज़माने में हाबील और क़ाबिल ने पहली बार क़ुरबानी पेश की थी | अल्लाह तआला के हुक्म और रज़ा के लिए हज़रत इब्राहीम (अ०स०) ने अपने बेटे हज़रत इस्माईल (अ०स०) की क़ुरबानी पेश की थी | उसी याद में मुसलमान क़ुरबानी पेश करते हैं |   अल्लाह तआला का इरशाद – وَلِكُلِّ أُمَّةٍۢ جَعَلْنَا مَنسَكًۭا لِّيَذْكُرُوا۟ ٱسْمَ ٱللَّهِ عَلَىٰ مَا رَزَقَهُم مِّنۢ بَهِيمَةِ ٱلْأَنْعَٰمِ और हर उम्मत के लिए हमने क़ुरबानी के तरीक़े मुक़र्रर फरमाए हैं ताके वह उन चौपाये जानवरों पर अल्लाह का नाम लें जो अल्लाह ने उन्हें दे रखे हैं |   क़ुरबानी के मुताल्लिक हदीसें – हज़रत सय्यदना ज़ैद बिन अरक़म (रज़ी०) फरमाते हैं के सहाबा (रज़ी०) ने अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह ! ये कुर्बानियां क्या हैं ? आप ने इरशाद फ़रमाया – तुम्हारे बाप इब्राहीम (अ०स०) की सुन्नत है | सहाबा (रज़ी०) ने अर्ज़ किया या रसुलअल्ल्लाह ! हमारे लिया क्या सवाब है ? फ़रमाया – हर बाल के बदले ए

Sami Yusuf Hamd Lyrics – हस्बी रब्बी हमद लिरिक्स

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     हस्बी रब्बी हमद – (ARBIC) – حسبي ربي جل الله (الله الله)   ما في قلبي غير الله  (الله الله) يا رب العالمين  (الله الله) صلّ على طه الأمين  (الله الله) في كل وقت وحين  (الله الله) إملأ قلبي باليقين  (الله الله) ثبتني على هذا الدين  (الله الله) واغفر لي والمسلمين  (الله الله) حسبي ربي جل الله  (الله الله) ما في قلبي غير الله  (الله الله) على الهادي صلى الله (الله الله) لا إله إلا الله (الله الله)     हस्बी रब्बी हमद लिरिक्स हिंदी में – हस्बी रब्बी जल्लल्लाह अल्लाह हु अल्लाह मा फी क़ल्बी गैरुल्लाह अल्लाहु हु अल्लाह वो तन्हा कौन है? (अल्लाहू अल्लाह) बादशाह वो कौन है? (अल्लाहू अल्लाह) ओ, मेहरबां वो कौन है?  (अल्लाहू अल्लाह) क्या ऊंची शान है?  (अल्लाहू अल्लाह) उसकी अपनी शान है (अल्लाहू अल्लाह) सब दिलों की जान है  (अल्लाहू अल्लाह) हस्बी रब्बी जल्लल्लाह अल्लाह हु अल्लाह मा फी क़ल्बी गैरुल्लाह अल्लाहु हु अल्लाह   हस्बी रब्बी हमद (ENGLISH ) – O Allah the Almighty (Allah’u Allah) Protect me and gui

Maa baap ke Huqooq – माँ बाप के साथ हुस्ने सुलूक

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   माँ-बाप (वालेदैन ) – माँ-बाप अल्लाह तआला की एक बड़ी नेमत है, ख़ुशनसीब  है वो जो इस नेमत की क़द्र सही वक़्त पर करे नहीं तो कितनी औलादें माँ-बाप के मरने के बाद अफ़सोस करती है या खुद उनकी औलादें जब उनपर वैसा ही सुलूक करतीं है जैसा ये कभी अपने वालेदैन से करते थे | अल्लाह तआला का इरशाद –   وَقَضٰى رَبُّكَ اَلَّا تَعۡبُدُوۡۤا اِلَّاۤ اِيَّاهُ وَبِالۡوَالِدَيۡنِ اِحۡسَانًا​ ؕ اِمَّا يَـبۡلُغَنَّ عِنۡدَكَ الۡكِبَرَ اَحَدُهُمَاۤ اَوۡ كِلٰهُمَا فَلَا تَقُلْ لَّهُمَاۤ اُفٍّ وَّلَا تَنۡهَرۡهُمَا وَقُلْ لَّهُمَا قَوۡلًا كَرِيۡمًا और तेरा परवरदिगार साफ साफ़ हुक्म दे चुका है के तुम उसके सिवा किसी और की इबादत ना करना और माँ बाप के साथ अहसान करना | अगर तेरी मौजूदगी में उन में से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाएं तो उनके आगे उफ़ तक ना कहना, न उन्हें डाट डपट करना बलके उनके साथ अदब व अहतराम के साथ बात –चीत करना (सुरह बनी-इस्राईल,आयत 23)   इसके मुताल्लिक चंद हदीस – हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रवायत है –एक शख्स ने हुज़ू

Dua Mangne ka Sahi Tariqa – दुआ मांगने का सही वक़्त

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     दुआ मांगने का सही वक़्त और तरीका – बाज़ अवक़ात एसे होते हैं के उस वक़्त अगर दुआ की  जाये तो अल्लाह तआला के यहाँ ज़रूर क़ुबूल होते हैं और ये भी काबिले गौर है के अगर हम अपने प्यारे नबी करीम (स०अ०) के बताए हुए तरीक़े से दुआ करें तो ये भी अल्लाह के बारगाह में कुबूल होने का अहम् तरीका है |   अल्लाह तआला का इरशाद – وَإِذَا سَأَلَكَ عِبَادِي عَنِّي فَإِنِّي قَرِيبٌ أُجِيبُ دَعْوَةَ الدَّاعِ إِذَا دَعَانِ जब मेरे बन्दे मेरे बारे में आप से पूछे तो (कह दें ) मैं क़रीब हूँ | हर पुकारने वाले की पुकार का ज़वाब देता हूँ जब वह मुझे पुकारे |   हदीस – रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया – दुआ ही इबादत है, यानी अल्लाह तआला से दुआ करना भी इबादत है |   दुआ मांगने के आदाब – (1) इखलास नीयत और पूरी तवज्जोह के साथ दुआ करना (2) अल्लाह तआला की हमद व सना से आगाज़ करना (3) दुआ की इब्तदा और आखिर पर दरूद पढ़ना (4) कुबूलियत के यक़ीन के साथ दुआ मांगना (5) अल्लाह तआला के अलावा किसी और से न मांगना (6) पहले अपने लिए फिर दूसरों के लिए दुआ

Hajat aur Pareshani ki dua – परेशानी के वक़्त की दुआ

  بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     हाजत और परेशानी के वक़्त दुआ – ज़िन्दगी के हर मसले का हल अल्लाह ने कुरआन मजीद में रखी है | कोई भी हाजत और परेशानी का हल कुरआन व हदीस से करना मोमिनों की अव्वल ज़िम्मेदारी है | हुज़ूर (स०अ०) ने एसी कितनी ही दुआ बतलाया है जिनको पढ़कर अपनी हाजत और परेशानियों पूरा कर सकते हैं |   चंद दुआ ए हाजत व परेशानी – (1) आयत ए करीमा – لاَّ إِلَـهَ إِلاَّ أَنتَ سُبْحَـنَكَ إِنِّى كُنتُ مِنَ الظَّـلِمِينَ ए अल्लाह ! तेरे सिवा कोई माअबुद नहीं | तेरी ज़ात पाक है बेशक मैं कुसूरवार हूँ | फ़ज़ीलत – ये दुआ हज़रत युनुस (अ०स०) ने मछली के पेट की तरिखियों में की थी जो अल्लाह तआला ने  क़ुबूल फ़रमाया और अंधेरियों से निज़ात अता फ़रमाया | नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जिस मुसलमान ने भी किसी मुसीबत में इस दुआ से अल्लाह को पुकारा, अल्लाह तआला उसकी दुआ ज़ुरूर क़ुबूल फरमाएंगे | अक्सर उलमा की राय है के हर मुसीबत और परेशानी आये तो ये दुआ को कसरत से पढनी चाहिए | बाज़ उलमा के मुताबिक एक लाख चौबीस हज़ार दफाह ये दुआ पढने से हाजत