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Showing posts from August, 2021

Islamic Months and Importance - इस्लामी महीने और फ़ज़ीलत

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     इस्लामी हिजरी (कमरी महीने) – इस्लामिक महीनों के नाम हर मुसलमान को जानना और याद करना ज़रूरी है | इस्लामी महीनों की शुरुवात नबी करीम (स०अ०) के मक्का से मदीना हिजरत करने के बाद हुई, हिजरी महीने  की शुरुवात के वक़्त हज़रत उमर (रज़ी०) ख़लीफा थे | हज़रत अली (रज़ी०) ने मशवरा दिया की अरबी महीने का आगाज़ आप (स०अ०) के हिजरत से शुरू हो, जो के हज़रत उमर (रज़ी०) ने राय को क़ुबूल फरमाई |   इस्लामी महीनों के नाम और फ़ज़ीलत – मुहर्रम – इस्लामी महीने की शुरुवात मुहर्रम से होती है | अल्लाह तआला ने जो 4 महीने हुरमत के रखे हैं उनमे से एक मुहर्रम भी है | माहे मुहर्रम की फ़ज़ीलत और खुसुसियात क़दीम ज़माने से चली आ रही है | मुहर्रम के महीने में बिद्दत और खुराफ़ात से हम सबको बचना चाहिए |   मुहर्रम महीने में होने वाले वाक़यात – (1) मुहर्रम के महीने में कर्बला का वाकया पेश आया के हज़रत हुसैन (रज़ी०) को शहीद कर दिया गया | (2) इसी महीने में अल्लाह तआला ने हज़रत मूसा (अ०स०) और बनी इसराईल को फिरओन से निज़ात अता फरमाई | (3) मुहर्रम के मही

Geebat karna aur uski Saza – गीबत करने का अंजाम

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   गीबत – गीबत यानी किसी के पीठ पीछे एसी बात करना के अगर वो उस बात को सुनता तो उसको बुरा लगता |  गीबत करना गुनाहे कबीरा है और शिरियत में निहायत नापसंदीदा अमल है और इसके करने का अज़ाब बहुत शख्त है | अल्लाह तआला का इरशाद – يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱجْتَنِبُوا۟ كَثِيرًا مِّنَ ٱلظَّنِّ إِنَّ بَعْضَ ٱلظَّنِّ إِثْمٌ ۖ وَلَا تَجَسَّسُوا۟ وَلَا يَغْتَب بَّعْضُكُم بَعْضًا ۚ أَيُحِبُّ أَحَدُكُمْ أَن يَأْكُلَ لَحْمَ أَخِيهِ مَيْتًا فَكَرِهْتُمُوهُ ۚ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ تَوَّابٌ رَّحِيمٌ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! बहुत से गुमानों से बचो, बाज़ गुमान गुनाह होते हैं और किसी की टोह में ना लगो और एक दुसरे की गीबत ना करो | क्या तुम में से कोई ये पसंद करेगा के वह अपने मुर्दे भाई का गोश्त खाए ? इस से तो खुद तुम नफरत करते हो और अल्लाह से डरो, बेशक अल्लाह बड़ा तौबा कुबूल करने वाला, बहुत मेहरबान है | (सुरह हुजरात आयत -12)   इसके मुताल्लिक चंद हदीसें – नबी करीम (स०अ०) ने फ़रमाया – अपने भाई के उ