Zabaan ki hifazat – ज़बान की हिफाज़त कैसे करें
بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
ज़बान की हिफाज़त –
ज़बान अल्लाह तआला की बड़ी अज़ीम नेमत है और ये इंसानी जिस्म का भले ही छोटा हिस्सा हो मगर इस छोटा हिस्सा बड़े – बड़े कारनामे कर सकता है | यानी इसमें खूबियाँ भी है और खराबियां भी, मतलब ज़बान से आखिरत के लिए नेकियाँ भी जमा की जा सकता है और अपनी आखिरत बर्बाद भी कर सकता है |
कुरआन मजीद में अल्लाह तआला का इरशाद –
अल्लाह पाक का इरशाद –
” इंसान मुह से कोई लफ्ज़ निकाल नहीं पाता मगर के उसके पास निगेबान तैयार है ”
इसके मुताल्लिक हदीसें –
हुजूर सल्ल० का इर्शाद है कि जो शख्स चुप रहा, वह निजात पा गया। एक सहाबी रज़ि- ने अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह! मुझे इस्लाम के बारे में ऐसी चीज़ बता दीजिए कि आप के बाद मुझे किसी से पूछना न पड़े। हुजूर सल्ल ने फरमाया, अल्लाह जल्ल शानुहू पर ईमान लाओ और उस पर इस्तिकामत रखो, उन्होंने अर्ज़ किया, हुजूर सल्ल. मैं किस चीज़ से बचूँ ? हुज़ूर सल्ल ने फरमाया, अपनी ज़बान से।
एक और सहाबी रजि. ने अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह । निजात की क्या सूरत है? हुजूर सल्ल ने फरमाया कि अपनी ज़बान को रोके रखो, अपने घर में रहो, (फुजूल बाहर न फिरो) और अपनी ख़ताओं पर रोते रहो।
और जगह इरशाद है –
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रजि हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इर्शाद नकल करते हैं कि जो शख्स अपनी ज़बान को रोके रहे, अल्लाह जल्ल शानुहू उसकी ऐबपोशी करते हैं और जो शख्स अपने गुस्से पर काबू रखे अल्लाह जल्ल शानुहू उसको अपने अज़ाब से महफ़ूज़ फरमाते हैं और जो शख्स अल्लाह जल्ल शानुहू की बारगाह में माज़िरत करता है, हक तआला शानुहू उसके उनके उज्र को कुबूल फ़रमाते हैं।
हज़रत मुआज़ रजि. ने अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह ! मुझे कुछ वसीयत फरमाएं। हजर सल्ल. ने इर्शाद फ़रमाया कि अल्लाह जल्ल शानुहू की इस तरह इबादत करो, कि गोया उसको देख रहे हो और अपने आपको मुर्दे में शुमार करो और अगर तुम कहो तो मैं वह चीज बताएं जिससे इन चीज़ों पर सबसे ज्यादा कुदरत हासिल हो जाए और यह फरमाकर अपनी ज़बान की तरफ इशारा फ़रमाया
हज़रत बरा रज़ि• फ़रमाते हैं कि एक बद्दू (देहाती) ने आकर अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह। मुझे ऐसा अमल बता दीजिए जो जन्नत में ले जाने वाला हो। हुजूर सल्ल. ने फ़रमाया, भूखे को खाना खिलाओ, प्यासे को पानी पिलाओ, अच्छी बातों का लोगों को हुक्म करो और बुरी बातों से रोको, और यह न हो सके तो अपनी ज़बान को भली बात के अलावा बोलने से रोके रखो।
जन्नत का हक़दार –
एक हदीस में हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का पाक इर्शाद नकल किया गया कि जो शख्स दो चीज़ों का जिम्मा ले ले, मैं उसके लिए जन्नत का जिम्मेदार हैं, एक ज़बान, दूसरी शर्मगाह।
जन्नत में दाखिल करने वाली चीज़ –
एक हदीस में है, हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सवाल किया गया कि जो चीजें जन्नत में दाखिल करने वाली हैं, उनमें सबसे अहम क्या चीज़ है ? हुजूर सल्ल ने फ़रमाया, अल्लाह का ख़ौफ़ और अच्छी आदतें। फिर अर्ज किया गया कि जहन्नम में जो चीजें दाखिल करने वाली हैं उनमें अहम क्या चीज़ है ? हुज़ूर सल्ल० ने फरमाया मुँह और शर्मगाह।
आदमी की खताओं का हिस्सा –
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद रज़ि सफ़ा और मरवा की सई कर रहे थे और अपनी ज़बान को ख़िताब करके फरमाते थे, ऐ जबान ! अच्छी बात कह। नफा कमाएगी। और शर से सुकुत कर, सलामत रहेगी, इससे पहले कि शर्मिन्दा हो। किसी ने पूछा कि यह जो कुछ आप फरमा रहे हैं, अपनी तरफ़ से फरमा रहे हैं या आपने इस बारे में कुछ हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सुना है? उन्होंने फरमाया कि मैं ने हुजूर सल्ल. से सुना है कि आदमी की खताओं का अक्सर हिस्सा उसकी ज़बान में होता है।
अल्लाह तआला ज़बान के गलत इस्तमाल से सबकी हिफाज़त फरमाए – अमीन
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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