Umme habiba Naat Lyrics – उम्मे हबीबा मशहूर नात लिरिक्स
بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “
उम्मे हबीबा (नात खावं) –
उम्मे हबीबा पाकिस्तान की पहली खातून नातखाव हैं | उनके पढ़े हुए नात पूरी दुनिया में मशहूर है और काफी लोग पसंद करते हैं | उन्ही के पढ़े हुए मशहूर नातों में से चंद नात (lyrics) इस पोस्ट में पेश की जा रही है |
(1) पहली नात – ( नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा)
गुल अजरो खता मुखता
नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा
बुलबुल जातोअ मुखता शिरीन
सुखनिरा सुखनिरा सुखनिरा सुखनिरा (दो बार )
हर कसके लबे लाल तुरा दीदा बादिल गुफ्त
हक़के जेखुश कंदा अकिके
यमानिरा यमानिरा यमानिरा यमानिरा (दो बार )
गुल अजरो खता मुखता
नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा
गुल अजरो खता मुखता
नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा
खियाते अज़ल दोखता पर कमाते ज़ेबा (दो बार )
दर कादेतो एजमैय सर्वे
चमनिरह चमनिरह चमनिरह चमनिरह (दो बार)
गुल अजरो खता मुखता
नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा
दर इश्के तोतन दाने शाकस्त तास्त बा (दो बार)
तू जामा रासनीद हुईसय
कारानिरा कारानिरा कारानिरा कारानिरा (दो बार )
गुल अजरो खता मुखता
नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा
अज़र जमियाय पेचारा रसानीद सलामे (दो बार)
बरदार गहे दरबारे रसूले
मदानिरा मदानिरा मदानिरा मदानिरा (दो बार)
गुल अजरो खता मुखता
नाज़ुक बदानिरा- बदानिरा- बदानिरा
(2) दूसरी नात (नबी उन नबी उन नबी)
या वजी हदी नी वल करमी
वा हलेफल इल्मी वल हिकमी
नाबियुन नाबियुन नाबियुन नबी (दो बार )
या रसूल अल्लाहि सलामुन अलेक
या रफ़ी आ शानी व दरजी
रसूलुन रसूलुन रसूलुन रसूल दो बार )
या वाफीयल अहदी वा दीममी
वाहमिदस साई व शियमी
अमिनुन अमिनुन अमिनुन अमीन (दो बार )
या रसूल अल्लाहि या इम्दातना
या इमामुल अम्बिया इल उमना
खातिमुन खातिमुन खातिमुन खातिमुन (दो बार )
वल फकीदिल महादी मुत्तारिफुन
मिन्हु बिल इफ़लासी वल अदमी
रहिमुन रहिमुन रहिमुन रहीम (दो बार )
व सलातुलाही खालिकिना
त-तघश सय्यिदल उममी
मुस्तफ़ा मुस्तफ़ा मुस्तफ़ा मुस्तफ़ा (दो बार )
अह्मदल मुखरी सय्यादिना
अद्ददल औराकी वद दियामी
कमिलुन कमिलुन कमिलुन कमिलुन (दो बार )
खैरा अंनल फदला मुन्ताक़बुन
मिन अज़िमिल फजली वल करामी
करीमुन करीमुन करीमुन करीम (दो बार )
(3) तीसरी नात ( तुम पर मैं लाख जान से फ़िदा या रसूल )
तुम पर मैं लाख जान से फ़िदा या रसूल
बर आएं मेरे दिल के भी अरमान या रसूल
क्यों दिल पे मैं फ़िदा न करूं जान या रसूल
रहते हैं इसमें आप के अरमान या रसूल
कुश्ताहु रुए पाक का निकलूँ जो कब्र से
जारी मेरी ज़बान से कुरआन या रसूल
दुनिया से और कुछ नहीं मतलूब है मुझे
ले जाऊं अपने साथ मैं ईमान या रसूल
इस शौक़ में के आपके दामन से जा मिले
मैं चाक कर रहा हु गिरेबान या रसूल
काफी है ये वसीला शफात के वासते
एसी तो हूँ मगर हूँ परेशान या रसूल
मुश्किल खुशा हैं आप और मैं आपकी गुलाम
अब मेरी मुश्किलें भी आसान हूँ या रसूल
(4) चौथी नात (काबे पे पड़ी जब पहली नज़र)
काबे पर पड़ी जब पहली नज़र क्या चीज़ है दुनिया भूल गई
यूं होश ओ खर्द मफ्लूज होते दिल जौक ए तमाशा भूल गई
अहसास के परदे लहरायें ईमान की हरारत तेज़ होई
सजदों की तरप अल्लाह अल्लाह सर अपना सूदा भूल गई
पहुंचा जो हरम की चौखट तक एक अब्रे करम ने घेर लिया
बाकी न रहा फिर होश मुझे क्या मंगा और क्या भूल गया
जिस वक़्त दुआ को हाथ उठाते याद न सका जो सोचा था
इजहारे अकीदत की दहन मेरी इजहारे तमन्ना भूल गया
हर वक़्त बरसती है रहमत काबे में अल्लाह अल्लाह
खाकी हूँ मैं कितना भूल गया आती हूँ मैं कितना भूल गई
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दुआ की गुज़ारिश
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