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Islamic Quotes in hindi - क़ीमती बातें -5

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم

शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है

इस्लामिक क़ीमती बातें –
(Islamic Quotes )  चंद क़ीमती हदीसें  –  (Part – 5

इन क़ीमती बातों को पढ़े और याद  करें,क्युकि इर्शदे नबवी (स०अ०) है के जो 40 हदीसें याद कर लेता है तो वह जन्नत में दाखिल होगा |

 

Islamic Quotes  (Part – 5)

 नबी करीम (स०अ०) का इरशाद

(1) हज़रत मुहम्मद (स०अ०) ने सोने चांदी के बर्तन में खाने पीने से मना फ़रमाया |

(2) जो शख्स अपने भाई से एक साल तक ताअल्लुक तोड़े राखे, तो उस का यह अमल उस (भाई ) का खून बहाने के बराबर है |

(3) औरतें रास्तों के दरमियान न चले बलके किनारों पर चलें

(4) जिस ने दिखावे के लिए सदका किया, उस ने शिर्क किया

(5) इस्लाम कबूल करना पिछले (पहले किये हुए ) गुनाहों को ख़त्म कर देता है |

(6) सब से अफज़ल (बेहतर) सदक़ा यह है के आदमी अपने उस रिश्तेदार पर सदक़ा करे जो उस से दुश्मनी रखता है |

(7) अपने किसी भाई से न झगड़ा करो और न उससे (एसा ) मज़ाक करो (जिससे से उस को तकलीक हो ) और न उससे एसा वादा करो जिसको तुम पूरी न कर सके |

(8) जब तुम परेशान हो तो यह दुआ पढ़ लिया करो – हस्बियल्लाहू व नीअमल वकील |

(9) बाप के साथ हुस्ने सुलूक का आला दर्ज़ा यह है के उसके चले जाने के बाद उसके मिलने जुलने वालों के साथ अच्छा सुलूक करे |

(10) जब मैं (अल्लाह) अपने किसी मोमिन बन्दे से दुनिया वालों में से उसका कोई महबूब शख्स ले लेता हूँ और वह सवाब की उम्मीद के साथ सब्र करता है, तो उसके लिए सिवाए जन्नत के मेरे पास कोई अज्र नहीं है |

(11) जो शख्स “ माशा अल्लाहु ला कुव्वतइल्ला बिल्लाह “ पढ़ लिया करे, सिवाए मौत के अपने अहल व अयाल और माल में कोई आफ़त नहीं देखेगा |

(12) जो लोग ईमान लाए और उन्होंने नेक अमल किये, उनको हम ज़रूर जन्नत के एसे ऊँचे मकानों में आबाद करेंगे जिन के नीचे नहरें बहती होंगी, जहाँ हमेशा हमेश रहेंगे |

(13) जो शख्स खर्च करने में न कंजूसी करता है और न फुजूल खर्ची करता है, तो अल्लाह तआला उसको मालदार बना देता है |

(14) हकीक़त तो यह है के तमाम मुसलमान भाई भाई हैं, इस लिए अपने दो भाइयों के दरमियान ताअल्लुक अच्छे बनाओ, ताके तुम पर रहमत का मुआमला किया जाये | (अल – कुरआन )

(15) हज़रत मुहम्मद (स०अ०) ने शराब पीने वाले, पलाने वाले और बनाने वाले पर लानत फरमाई है |

(16) जो शख्स सिर्फ दुनिया की खेती चाहेगा, (के साड़ी कोशिश उसी पर खर्च कर दे ) तो उसको दुनिया में से कुछ दे देंगे और एसे शख्स का आखिरत में कोई हिस्सा नहीं (अल – कुरआन )

(17) जब कौम ज़कात देना बंद कर देती है, तो अल्लाह तआला उनसे बारिश रोक देता है |

(18) अगर तुम एसा न करोगे (सूद (ब्याज) लेने से बाज़ न आओगे ) तो अल्लाह और उसके रसूल की तरफ से एलाने जंग सुन लो | (अल – कुरआन )

(19) अल्लाह तआला फरमाता है – ए आदम के बेटे (इंसान ) ! तू (नेक कामों में और लोगों पर ) खर्च कर मैं तुझपर खर्च करूँगा |

(20) जब कोई एसा शख्स (तुम्हारी लड़कियों के लिए ) निकाह का पैग़ाम भेजे, जिस की दीनदारी और अखलाक तुम्हे पसंद हो, तो तुम उससे निकाह कर दो, अगर एसा न करोगे तो दुनिया में फ़साद फ़ैल जायेगा |

(21) जो कोई अपने गुस्से को रोकेगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उससे अपने अज़ाब को रोकेगा |

(22) ए ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो, और हर शख्स को गौर करना चाहिए के दुनिया में रह कर उसने कल (आखिरत ) के लिए क्या आगे भेजा है ? (अल – कुरआन)

(23) आलिम की फ़ज़ीलत आबिद पर एसी है जैसी चौदहवी रात के चाँद की फ़ज़ीलत तमाम सितारों पर |

(24) गरीब को सदका देना बुरी मौत से बचाती है |

(25) मर्द दुसरे मर्द का और औरत दुसरी औरत का सतर न देखे |

(26) बेशक यह कुरआन वह रास्ता दिखाता है जो सब से जियादा सीधा है | (अल – कुरआन )

(27) आप अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करते रहिये और खुद भी नमाज़ के पाबन्द रहिये |

(28) जो शख्स दौलत बढ़ाने के लिए लोगों से माँगना शुरू करेगा तो अल्लाह तआला उस की दौलत को और भी कम कर देंगे |

(29) जो शख्स मुकम्मल तौर पर दुनिया की तरह झुक जाता है, तो अल्लाह तआला उसे दुनिया के हवाले कर देता है |

(30) अल्लाह तआला फरमाता है – मैं दुआ मांगने वाले की दुआ कुबूल करता हूँ, जब वह मुझ से दुआ मांगे |

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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दुआ की गुअरिश 

 

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Aulad ki tarbiyat – औलाद की तरबियत कैसे करें

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश