Witr ki Namaz ka Tarika - वित्र की नमाज़

वित्र की नमाज़ –

 

वित्र की नमाज़ वाजिब है अगर किसी वजह से वक़्त में वित्र नही पढ़ा तो क़ज़ा वाजिब है | वित्र का वक़्त ईशा से सुबह सादिक तक रहता है | वित्र का अफज़ल वक़्त रात के आखरी वक़्त यानी जिस वक़्त तहज्जुद पढतें है |अगर नींद का गलबा हो,रात के आखरी वक़्त नही उठ सकते तो ईशा  के नमाज़ के बाद  पढ़ सकते हैं|

 

तरीका –

वित्र की तीन रकातें हैं | दो रकात पर बैठे और सिर्फ अततहियात पढ़कर तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाए | तीसरी रकात में सुरह फ़ातिहा और कोई सुरह पढने के बाद दोनों हाथों को काँधे तक उठाते हुए अल्लाह हु अकबर कहें और फिर हाथ बांध लें और दुआ ए क़ुनूत पढ़े |

 

 

 

 

( हिंदी )

 

अल्लाह हुम्मा  इन्नी नस्तइनुका व नस्तगफेरुका  व नुमेनु  बिका वना तवक्कलू अलैका व नुस्नी अलैकल खैर व नश कुरुका वला नक्फुरुका व नाख्लओ व नतरुकू मई यफजुरुका अल्लाहहुम्मा ईयका नाअबुदू वलक नुसल्ली व नसजुदू व इलैका नसह़ा व नहफेदु व नरजू रहमतक व नख्शा अज़ाबक इन्ना  अज़ाबक बिल कुफफारी मूलहिक़

 

तर्जुमा –

ए अल्लाह ! हम तुझ से मदद चाहते हैं और तुझ से ही बख्शीश मांगते हैं और तुझ पर ईमान लाते हैं और तुझ पर भरोसा रखते हैं और तेरी बहुत अच्छी तारीफ़ करते हैं और तेरा शुक्र करते हैं और तेरी न शुक्री नहीं करते और अलग करते हैं और छोड़ते हैं उस शख्स को जो तेरी नाफ़रमानी करे ए अल्लाह हम तेरी इबादत करते हैं और तेरे लिए ही नमाज़ पढ़ते हैं और सजदा करते हैं और तेरी ही तरफ दौड़ते और खिदमत के लिए हाज़िर होते हैं और तेरी रहमत के उम्मीदवार हैं और तेरे अज़ाब से डरते हैं बेशक तेरा अज़ाब काफिरों को मिलने वाला है |

 

नोट –अगर दुआ ए क़ुनूत याद ना हो तो – रब्बना आतिना फिद दुनिया हसनतौ वाफिल आखिरति हसनतौ वाकिना अज़ाबन नार” वाली दुआ पढनी  चाहिए |

और अगर ये भी याद  ना हो – तो तीन बार “अल्लाहुम् मगफिरली “ कहे |

 

नमाज़े वित्र के चंद मसाइल –

(1)  अगर दुआ ए क़ुनूत भूल जाये और रुकू में याद आये तो न रुकू में पढ़े न क़याम की तरफ लौट कर खड़े होकर पढ़े बल्कि आखिर में सजदा सहु कर ले नमाज़ हो जाएगी |

(2)  वित्र की तीनों रकातों में मुतलकन क़रात फ़र्ज़ है और हर रकात में सुरह फ़ातिहा पढना वाजिब है |

(3)  बेहतर यह है के पहली रकात में सुरह आल़ा या इन्ना अनजलना पढ़े और दूसरी रकात में सुरह काफ़िरून और तीसरी रकात में सुरह इखलास पढ़े |

(4)  वित्र की नमाज़ जमात से सिर्फ रमज़ानुल मुबारक में ही पढ़े जाये,रमज़ान के अलावा पढना मकरूह है लेकिन रमज़ान में वित्र जमात से पढना मुस्तहब है |

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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दुआ की गुज़ारिश

 

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