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Hazrat Abu Hurairah (R.A) ki Riwayat Hadeesein

 

हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) के बारे में –

हज़रत अबू हुरौरह (रज़ी०) एक मशहूर सहाबिये रसूल थे |

जिन्होंने तक़रीबन 5300 से ज्यादा हदीसें हुजुर अकरम (स०अ०) से नक़ल की थीं|ज़माने जाहिलियत में आप (रज़ी०) का अबुदुस समस था |इम्मान लाने के नबी करीम (स०अ०) ने आप (रज़ी०) का नाम अब्दुर -रहमान रख दिया,आप यमन के रहने वाले थे और आप की कुन्नियत हुरैरह है|

हज़रत अबू हुरौरह (रज़ी०) को यादाश्त कमज़ोर थी तो आप (रज़ी०) ने नबी करीम (स०अ०) से इसकी शिकायत की,नबी करीम (स०अ०) ने हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) को अपनी चादर फ़ैलाने को कहा,आप (रज़ी०) ने हुक्म की तामीर की फिर नबी करीम (स०अ०) ने फ़रमाया इससे अपने सीने से लगाओ,फिर अबू हुरैरह (रज़ी०) ने अपने सीने से लगाए,फिर वह कभी भी कोई बात नही भूले | 

 

आप (रज़ी०) की रिवायत हदीसें – 

 कालिमा तय्यब  के मुताल्लिक हदीसें –

 

1 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – ईमान की 70 से ज्यादा शाखें है |उनमें सबसे अफज़ल शाख़ (ला इला – ह – इल्लललाह ) का कहना है और अदना शाख तकलीफ देने वाली चीजों का रास्ते से हटाना है और हया ईमान का एक अहम् शाख़ है  

 

2  हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अपने ईमान को ताज़ा करते रहा करो |अर्ज़ किया गया – ए अल्लाह के रसूल (स०अ०) ! हम अपने ईमान को किस तरह ताज़ा करें ? इरशाद फ़रमाया –  (ला इला – ह – इल्लललाह ) को कसरत से कहते रहा करो 

 

3  हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जिसने (ला इला – ह – इल्लललाह ) कहा,उसको यह कालिमा एक न एक दिन ज़रूर फायदा देगा,नजात दिलाएगा, अगरचे उसको कुछ न कुछ सज़ा पहले भुगतना पड़े |

 

4  हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अल्लाह तआला ने मेरी उम्मत के उन वस्वसों को माफ़ फरमा दिया है,जो ईमान और यकीन के खिलाफ या गुनाह के बारे में उनके दिल में बगैर अख्तियार के आयें | जब तक के उन वस्वसों के मुताबिक अमल न कर लें या उनको जुबान पर न लाये |

 

5  हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) नबी करीम (स०अ०) का इरशाद नक़ल फरमाते हैं  कि  (ला इला – ह – इल्लललाह) की गवाही कसरत से देते रहा करो,इससे पहले कि एसा वक़्त आए कि तुम इस कालिमा को मौत या बीमारी वगैरह की वजह से न कह सको |

 

6 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – ईमान ये है कि तुम अल्लाह तआला को,उसके फ़रिश्ते को और (आखिरत में ) अल्लाह तआला से मिलने को और उसके रसूलों को हक़ जानो और हक़ मनो और मरने के बाद दोबारा उठाए जाने को हक़ जानो,हक़ मानो |

 

7 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) नबी करीम (स०अ०) से रिवायत करते हैं कि आप (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अल्लाह तआला क़यामत के दिन ज़मीन को अपने कब्ज़े में लेंगे और असमान को अपने दाहिने हाथ में लपेटेंगे,फिर फरमाएंगे कि में ही बादशाह हूँ,कहाँ हैं ज़मीन के बादशाह |

 

8 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) फरमाते हैं कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – तुम किसी गुनाहगार को नेमतों में देखकर उस पर रश्क न करो,तुम्हे मालूम नही मौत के बाद उसके साथ क्या होने वाला है ? अल्लाह तआला के यहां उसके लिए एक एसा क़ातिल है,जिसको कबी मौत नही आयेगी (क़ातिल से मुराद दोज़ख की आग है,जिसमे वो रहेगा )

 

9 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – इस्लाम यह है कि तुम अल्लाह तआला की इबादत करो और उनके साथ किसी को शरीक न ठहराओ,नमाज़ कायम करो,ज़कात अदा करो,रमजान के रोज़े रखो,हज करो,नेकी का हुक्म करो,बुराई से रोको  और अपने घर वालों को सलाम करो |जिस शख्स ने उनमे से किसी चीज़ में कुछ कमी की तो वह इस्लाम के एक हिस्से को छोड़ रहा अहि और जिसने उन सब को बिलकुल छोड़ दिया,उसने इस्लाम से मुह फेर लिया |

 

10 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) फरमाते हैं कि रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – दुनिया मोमिन के लिए क़ैदखाना है और काफ़िर के लिए जन्नत है |

 

 

नमाज़ के मुताल्लिक हदीसें –

 

1 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – पांच नमाजें,जुमा की नमाज़ पछले जुमा तक और रमज़ान के रोज़े पछले रमज़ान तक दरमियानी औकात के तमाम गुनाहों के लिए कफ्फारा हैं,जबकि उन आमाल को करने वाले कबीरा गुनाहों से बचे |

 

2 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अगर लोगों को अज़ान और पहली साफ का सवाब मालूम हो जाता और उन्हें अज़ान और पहली सफ कुरआअंदाजी के बगैर हासिल न होती,तो वह कुरआअंदाजी करते |

 

3 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है कि नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जब तुममे से कोई शख्स अपने घर से मेरी मस्जिद के लिए निकलता है,तो उसके घर वापस होने तक हर क़दम पर एक नेकी लिखी जाती है और हर दुसरे क़दम पर एक बुराई मिटाई जाती है |

 

4 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया -क़यामत के दिन अल्लाह तआला उन लोगों को जो अंधेरों में मस्जिदों की तरफ जाते हैं (चारों तरफ्) फैलने वाले नूर से मुनव्वर फरमाएंगे |

 

5 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो रमजान की रात में अल्लाह तआला के वादों पर यकीन करते हुए और उसके अज्र व इनाम के शौक में नमाज़ पढता है,उसके पछले सब गुनाह माफ़ हो जातें हैं |

 

6 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – रमज़ानुल मुबारक के बाद सबसे अफज़ल रोज़े माहे मुहर्रम का है और फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद सबसे अफ्जल नमाज़ रात की है |

 

7 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो चाशत की दो रकात पढने का अह्तामाम करता है उसके गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं,अगरचे वे समंदर के झाग के बराबर हों|

 

8 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अल्लाह तआला एसे आदमी की नमाज़ की तरफ देखते ही नही जो रुकुह और सजदा के दरमियान यानि कौमा में अपनी कमर को सीधी न करे |

 

9 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की नबी करीम  (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अगर मुझे यह ख्याल न होता कि मेरी उम्मत मुशक्कत में पड़ जाएगी,तो मै उनको नमाज़ के वक़्त मिस्वाक करने का हुक्म देता |

 

10 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अल्लाह तआला को सब जगहों से ज्यादा महबूब मस्जिद हैं और सबसे ज्यादा नापसंद जगहें बाज़ार हैं|

 

इल्म के मुताल्लिक हदीसें – 

 

1 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अल्लाह तआला उस शख्स से नफरत करते हैं जो शख्तमिजाज हो,ज्यादा खाने वाला हो,बाजारों में चीखने वाला हो,रात में मुर्दे की तरह (पड़ा सोता रहता )हो,दिन में गधे की तरह (दुनयावी कामों में फसा रहता )हो,दुनिया के मामलों का जानने वाला और आखिरत के उमूर से बिलकुल जाहिल हो |

 

2 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) फरमाते  हैं  की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जिस शख्स से इल्म की कोई बात पूछी जाए और वह (बावजूद  जानने के ) उसको छुपाए तो अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसके मुह में आग की लगाम डालेंगे |

 

3 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत करते  है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अल्लाह तआला इतना किसी की तरफ तवज्जो नही फरमाते जितना की उस नबी की आवाज़ को तवज्जो से सुनते हैं जो कुरान करीम ख़ुशइल्हानी से पढता है |

 

4 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जब तुममें से कोई (सुरह – फ़ातिहा के आखिर में ) अमीन कहता है,तो उसी वक़्त फ़रिश्ते आसमान पर आमीन कहते हैं,अगर उस शख्स की आमीन फरिश्तों की आमीन के साथ मिल जाती है तो उसके पछले तमाम गुनाह माफ़ हो जातें हैं |

 

5 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – सुरह -बकरह में एक आयत है जो कुरान शरीफ की तमाम आयातों की सरदार है | वह आयत जैसे ही किसी घर में पढ़ी जाए और वहां शैतान हो तो फौरन निकल जाता है,वह आयतुल कुर्सी है 

 

6 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – हर चीज़ की कोई चोटी होती है (जो सबसे उपर और बालातर होती है ) और कुरान करीम की चोटी सुरह बकरह है और उसमें एक आयत एसी है जो कुरआन शरिफ् की सारी आयतों की सरदार है,वह आयतुल कुर्सी है |

 

7 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो शख्स रात में दस आयतों की तिलावत करे,वो उस रात अल्लाह तआला की इबादत से गाफिल रहने वालों में शुमार नही होगा |

 

8 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०)  रिवायत  करते हैं  की नबी करीम  (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – अल्लाह तआला का इरशाद है -जब मेरा बंदा मुझे याद करता है और उसके होंठ मेरी याद में हिलते रहते हैं,तो मै उसके साथ होता हूँ|

 

9 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की नबी करीम  (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – बंदा जब तक गुनाह और रिश्तों के काटने की दुआ न करे उसकी दुआ कुबूल होती रहती है,बशर्ते कि वह जल्दबाजी न करे |पूछा गया या रसूल अल्लाह जल्दबाज़ी का क्या मतलब है ? इरशाद फ़रमाया – बंदा कहता है मैंने दुआ की,फिर दुआ की,लेकिन मुझे तो कुबूल होती नज़र नही आती,फिर उकता कर दुआ करना छोड़ देता है |

 

10 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की नबी करीम  (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – तीन दुआएं खास तौर पर कुबूल की जातीं हैं,जिनके कुबूल होने में कोई शक नही |(औलाद के हक़ में ) बाप की दुआ,मुसाफिर की दुआ और मज़लूम की दुआ |

 

 

हुस्ने अखलाक के मुताल्लिक हदीसें –

 

1 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – ईमान वालों में कामिलतरीन मोमिन वह है जिसके अखलाक सबसे अच्छे हों और तुम में से वो लोग सबसे बेहतर हैं जो अपनी बीवी के साथ (बर्ताव में ) सबसे अच्छे हों |

 

2 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – हज़रत मूसा बिन इमरान (अ०स०) ने अल्लाह तआला की बारगाह में अर्ज़ किया -ए मेरे रब ! आप के बन्दों में आपके नज़दीक ज्यादा इज्ज्ज़त वाला कौन है ?अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया – वह बंदा जो बदला le सकता हो और फिर माफ़ कर दे |

 

3 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – ताक़तवर वह नही है जो (अपने मुकाबिल को ) पछाड़ दे,बलके ताक़तवर वह है जो गुस्से की हालत में अपने आप पर काबू पा ले|

 

4 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – जो मुसलमान की लगजिश को माफ़ करे,अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी लगजिश को माफ़ फरमाएंगे |

 

5 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की नबी करीम  (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – छोटा बड़े को सलाम करे,गुज़रने वाला बैठे हुए को सलाम करे और थोड़े आदमी ज्यादा आदमी को सलाम करे |

 

6 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – मोमिन वह है जिससे लोग अपनी जान और माल के बारे में अम्न में रहे |

 

7 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की नबी करीम  (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – एक दुसरे को हदिया दिया करो,हदिया दिलों की रंजिश को दूर करती है |कोई पड़ोसन अपनी पड़ोसन को हकीर न समझे,अगरचे वह बकरी के खुर का एक टुकड़ा ही क्यों न हो (इसी तरह देने वाली भी इस हदिया को कम न समझे )

 

8 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – वह शख्स जन्नत में दाख़िल न हो सकेगा जिसकी शरारतों से उसका पडोसी महफूज़ न हो |

 

9 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – मेरा जो उम्मती मदीना तैयबा के कयाम की मुश्किलात को बर्दाश्त करके यहाँ कियाम करेगा,मैं क़यामत के दिन उसका सिफारशी या गवाह बनूंगा |

 

10 हज़रत अबू हुरैरह (रज़ी०) से रिवायत है की एक शख्स ने  रसूल अल्लाह (स०अ०) से अपनी शख्तदिली की शिकायत की |आप (स०अ०) ने इरशाद फारमाया – यतीम के सिर पर हाथ फेरा करो और मिसकीनों को खाना खिलाया करो |

 

दीन की सही मालूमात  कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)

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दुआ की गुज़ारिश 

 

 

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   शीधा जन्नत या जहन्नुम – आखिरत के दिन कुछ लोग एसे भी होंगे जो बगैर हिसाब व किताब के जन्नत में और बिना हिसाब के दोज़ख में डाल दिए जायेंगे, उसे बाद हिसाब किताब का सिलसिला शुरू होगा |   बिना हिसाब के जन्नत में जाने वाले – हज़रत  अस्मा रज़ि० कहती हैं, मैंने हुज़ूर सल्ल० से सुना कि क़ियामत के दिन सारे आदमी एक जगह जमा होंगे और फ़रिश्ता जो भी आवाज़ देगा, सबको सुनायी देगी। उस वक़्त एलान होगा कहां हैं वे लोग जो राहत और तकलीफ में हर हाल में अल्लाह की हम्द करते थे। यह सुन कर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी दूसरी मर्तबा – फिर एलान होगा, कहां हैं वे लोग जो रातों में इबादत में मश्गूल रहते थे और उनके पहलू बिस्तरों से दूर रहते थे। फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी। तीसरी मर्तबा – फिर एलान होगा, कहाँ हैं वे लोग जिनको  तिजारत और खरीद व फ़रोख़्त अल्लाह के ज़िक्र से ग़ाफ़िल नहीं करती फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी। चौ

shabe meraj ki Haqeeqat - शबे मेराज का सफर

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   शबे मेराज के बारे में – अल्लाह तआला ने नबी करीम (स०अ०)  को एक ख़ास सफर कराया के मक्का से मस्जिद ए अक्सा और फिर सात आसमानों से गुजर कर सिद्रातुल मूनताहा से होते हुए अपने पास बुलाया । यह आप (स०अ०)  के लिए खास एजाज व सआदत की बात है। इसके मुतल्लिक कुरान में जिक्र – سُبْحَـٰنَ ٱلَّذِىٓ أَسْرَىٰ بِعَبْدِهِۦ لَيْلًۭا مِّنَ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ إِلَى ٱلْمَسْجِدِ ٱلْأَقْصَا ٱلَّذِى بَـٰرَكْنَا حَوْلَهُۥ لِنُرِيَهُۥ مِنْ ءَايَـٰتِنَآ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْبَصِيرُ ١ तर्जुमा – पाक है वहज़ात जो अपने बन्दे को रातों रात मस्जिदे हराम से मस्जिदे अक्सा तक ले गई जिसके माहौल पर हमने बरकतें नाज़िल की हैं | ताके हम उन्हें अपनी कुछ निशानियाँ देखाएं | बेशक वह हर बात सुनने वाली, हर चीज़ देखने वाली ज़ात है | मेराज के सफर का आगाज़ – नबी करीम (स०अ०)  हजरत उम्मे हानी के घर तसरीफ फरमा थे । अचानक आप ने देखा के ऊपर छत फटी और दो आदमी आए, आप को उठाया और आपका सीना चाक किया और सोने की तश्त पर कल्ब को रखा  फिर ज़म-ज़म

Kon log roza Tod sakte hain - रोजा तोड़ने की इजाज़त

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ” अल्लाह ताआला का बंदों पर अहसान – अल्लाह तआला अपने बंदों पर बड़ा शफीक वा मेहरबान है। उसने अपनी रहमत से इंसानों को ऐसी ही चीजों का मोकल्लफ बनाया है जि से बा-आसानी अंजाम दे सके। अल्लाह तआला ने अपनी मेहरबानी व रहमत से बाज ऐसे लोगों को रमजान में रोजा तोड़ने की इजाज़त दी है । जिनको कोई ऐसा शरई उज्र लाहिक हो जिसकी वजह से उनके लिए रोजा रखना दुश्वार हो | कुरान मजीद में इर्शदे बारी तआला  – अल्लाह तआला किसी जान को उसकी ताकत से ज्यादा तकलीफ नहीं देता (सुरह बकरह)   जिन लोगों को रोज़ा तोड़ने की इज़ाज़त है वो ये हैं – (1) बड़े बूढ़े और दाइमुल मरीज़ – बहुत बूढ़े मर्द, बूढ़ी औरतें और ऐसे दाइमूल मरीज लोग जिनके सेहतमंद होने की उम्मीद खत्म हो चुकी है। यह लोग अगर रोजा रखने में दुश्वारियां और परेशानी महसूस करें और यह अंदाजा हो कि आइंदा कभी भी उन्हें रोजा क़जा करने की ताकत हासिल ना हो सकेगी तो शरीयत ने ऐसे लोगों को रुखसत दी है कि वह रोजा ना रखें और हर रोजा के बदले एक मिस्कीन को खाना खिलाएं । उन्हें क़जा करने  की जरू

Khajur(Dates) ke Fayde – खजूर के फ़ायदे

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   खजूर (Dates) – अल्लाह तआला ने हमें बेशुमार नेमतें से नवाज़ा है, उन नेमतों में से खजूर एक अहम्  नेमत है जिसका ज़िक्र हदीसों में कसरत से आया है | नबी करीम (स०अ०) के ज़माने में कसरत से खजूर के बागात हुआ करतीं थीं | ये नबी करीम (स०अ०) की दुआओ का सिला है के उस ज़माने से आज भी अरब में कसरत से पुरे साल खजूरों की खेती होती है और कभी कमी ना आई |   इसके मुताल्लिक हदीस – हज़रत साद बिन अबी वक्कास (रज़ी०) से मय्सर है के वह अपने वालिद गरामी से रिवायत करते हैं के नबी (स०अ०) ने फ़रमाया – जिस शख्स ने निहार मुह अज्वा खजूर के सात दाने खाए उसको उस दिन में ना तो किसी ज़हर से और ना किसी जादू से नुक्सान पहुंचेगा | (मुस्लिम ,अबू दाऊद) उपर के हदीस में मसनदे अहमद ने इजाफा किया है के – और अगर उसने ये खजूरें शाम को खाई तो किसी चीज़ से सुबह तक कोई नुक्सान नहीं होगा |   खजूर के फायदे – (1) खजूर में ज्यादा मिकदार में पोटाशियम होता है जो के बदन की कमज़ोरी में बहुत फायदेमंद है | रोज़ाना एक खजूर का दूध के साथ खाना बदन की कमज़ोरी को

Surah Takasur tafseer – सुरह तकासुर तफ़सीर

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”   सुरह तकासुर फ़ज़ीलत – हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी०) से रिवायत है के रसूल अल्लाह (स०अ०) ने फ़रमाया के – तुम में से कोई ये नहीं कर सकता के रोज़ाना एक हज़ार आयतें कुरआन पाक की पढ़ लिया करे ? सहाबा (रज़ी०) ने अर्ज़ किया हुज़ूर (स०अ०) ! किस में ये ताक़त है के रोज़ाना एक हज़ार आयतें पढ़े ? (यानी ये बात हमारी इस्ततात से बाहर है ), आप (स०अ०) ने इरशाद फ़रमाया – क्या तुम से कोई इतना नहीं कर सकता के अल्हकुमुत-तकासुर पढ़ लिया करे |   तफ़सीर सुरह तकासुर (102) – بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم (1) जयादती की चाहत ने तुम्हे गाफिल कर दिया तफ़सीर – हर वह चीज़ जिस की कसरत इंसान को महबूब हो और कसरत के हुसूल की कोशिश व खवाइश उसे अल्लाह के अहकाम और आखिरत से गाफ़िल कर दे | यहाँ अल्लाह तआला इंसान की कमजोरी को बयान कर रहा है, जिस में इंसानों की अक्सरियत हर दौर में मुब्तला रही है |   (2) यहाँ तक के तुम क़बर्स्तान जा पहुंचे तफ़सीर – इस का मतलब है के हुसूल कसरत के लिए मेहनत करते करते, तुम्हें मौत आ गई और तुम क़ब्रों में जा पहुंचे |

Aulad ki tarbiyat – औलाद की तरबियत कैसे करें

بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश