Gunahe Kabira in Hindi - गुनाह ए कबीरा हिंदी
गुनाह ए कबीरा क्या है –
कबीरा गुनाह यानी (बड़े गुनाह ),जिनकी बिना तौबा किये माफ़ी ना हो |
उलमा ए दीन ने एक कायदा बयान किया है और हदीसों से भी साबित है के ” हर वो जुर्म जिस पर जहन्नुम की वईद हो या जहन्नुम की आग की वईद हो वो गुनाहे कबीर है ”
कुराने मजीद में अल्लाह तआला का इरशाद है –
” अगर तुम बड़े गुनाहों से बचते रहोगे जिन से तुम को मना किया जाता है तो हम तुम्हारे छोटे गुनाह दूर कर देंगे और इज्ज़त व बुज़ुर्गी की जगह दाखिल करेंगे “(सुरह अन -निसा )
गुनाहे कबीरा के मुताल्लिक हदीस –
” हज़रत अनस (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल-अल्लाह (स०अ०) से बड़े (कबीरा) गुनाहों के बारे में पूछा गया तो आप (स०अ०) ने फरमाया – अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना, वालदेन (माँ बाप) की नाफ़रमानी करना, किसी की (नाहक़) जान लेना ,और झूठी गवाही देना ” (बुख़ारी)
” हज़रत अब्दुल्ल्लह बिन उमर (रज़ी०) से रिवायत है की रसूल-अल्लाह (स०अ०) ने फरमाया यक़ीनन कबीरा गुनाहों में से ये भी है की कोई अपने वालदेन (माँ बाप) पर लानत भेजे (लोगो ने पूछा) की या रसूल अल्लाह (स०अ०) कोई शख़्श अपने ही वालदेन (माँ बाप) पर लानत कैसे भेजेगा तो आप (स०अ०) ने फरमाया जब कोई शख्स दूसरो के वालिद को बुरा कहेगा तो दूसरा भी उसके वालिद और माँ को बुरा कहेगा (और इस तरह वो कबीरा गुनाह कर देगा) ” (बुख़ारी)
चंद गुनाह ए कबीरा –
बड़े गुनाह जो बिना तौबा किया माफ़ नहीं होती –
(1) शिर्क – अल्लाह रब्बुल इज्ज़त के साथ किसी और को शरीक करना (मसलन -अल्लाह के अलावा किसी को इबादत के लायक समझना),ये बहुत बड़ा गुनाह है,अगर कोई शख्स शिर्क पर मर गया तो वो कभी जन्नत में न जा सकेगा |
(2) माँ बाप की नाफ़रमानी – आजकल माँ – बाप की नाफ़रमानी करना,औलाद के लिए आम बात हो गई है |एक रिवायत है के माँ – बाप को उफ़ भी न कहा करो,अगर माँ – बाप नाराज़ हों तो अल्लाह तआला भी नाराज़ होते हैं,इसीलिए इसकी फ़िक्र करना ज़रूरी है और अगर इस गुनाह में मुलौविस हैं तो उनकी खिदमत करके उनको रजी करें |
(3) कतल करना – यानी किसी बेगुनाह का बिला उज्र क़त्ल करना या जान से मार देना
(4) चुगली /गीबत करना – यानी किसी के पीठ पीछे बुरा भला कहना जिसे अगर वह सुनता तो उसे तखलीफ़ होती |
(5) सूद – सूद लेना या देना बहुत बड़ा गुनाह है और सख्त हराम है,इसकी हदीसों में सख्त वईदें आई हैं |
(6) धोका देना – मसलन दगाबाजी या याकीन को तोडना या वादा खिलाफी करना |
(7) तकब्बुर करना – यानी घमंड करना | एक हदीस का मफुम है के नबी करीम (स०अ०) ने इरशाद फरमाया – ज़र्रा बराबर भी तकब्बुर करने वाला जन्नत में न जा सकेगा |
(8) चोरी करना/डाका डालना – किसी का माल/सामान नाहक़ लेना या गायब कर देना |
(9) मर्दों को औरतों का लिबास पहनना/औरतों को मर्दों का सा लिबास पहनना – जैसा के आजकल आम हो गया है के, लड़के लड़कीयों जैसा लिबास पहनते हैं और लड़की लड़कों के मुशाबे लिबास पहनती हैं,इससे बचना ज़रूरी है |
(10) दाढ़ी मुंडाना – दाढ़ी मुड़ाना या कटवाना बड़ा गुनाह है|
(11) झूटी गवाही देना/झूटी क़सम खाना – ये दोनों अमल करना बड़ा शख्त गुनाह है |
(12) यतीमों का माल खाना – मीरास का माल नाज़ियेज़ खाना
(13) रिशवत लेना/रिशवत देना – रिशवत लेना या देना दोनों कबीरा गुनाहों में शामिल है |
(14) शराब पीना – नशा खोरी
(15) जुवा खेलना – सट्टे लगाना
(16) झूट बोलना – चाहे मज़ाक में हो या कारोबार करते वक़्त बोलता हो,सच बोलो चाहे अपनी ही नुक्सान हो जाये
(17) अमानत में ख़यानत करना – किसी ने कोई चीज़ किसी शख्स के पास रखवाई हो और वो वापस न करे या इस्तमाल कर ले|
(18) वादा खिलाफ़ी करना – वादा कर ले तो पूरा न करे
(19) किसी का दिल दुखाना – कोई एसा अलफ़ाज़ बोल दिया या कोई कोई एसा काम कर दिया जिससे किसी को तकलीफ़ पहुंचे |
(20) किसी का ऐब तलाश करना – किसी की कमी निकलने में लगा हो |
(21) ज़ीना करना – बीवी/लौंडी के अलावा किसी और से सोहबत (हमबिस्तरी) करना
(22) मर्दा -मर्द से और औरत -औरत से सहवत करना – यांनी आजकल के दौर में (home sexual ) कहते हैं ,जो शख्त हराम और बहुत बुरा फेल है,कौमे लूत(अ०स०) इसी वजह से हलाक़ हुई थी|
(23) नाच गाना देखना या सुनना – जो के आजकल बहुत आम हो जाया है,अक्सर सब के घरों में शुरू होता है |
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से दुआ है की इन सभी गुनाहों से हम सब की पूरी पूरी हिफाज़त फरमाए और ख़ुदा न खास्ता अगर गुनाह हो जाये तो तौबा की तौफीक अता फरमाए – अमीन
दीन की सही मालूमात कुरआन और हदीस के पढने व सीखने से हासिल होगी |(इंशाअल्लाह)
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दुआ की गुज़ारिश
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