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Asad Iqbal Famous Naat - असद इक़बाल फेमस नात

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

” शरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है “

 

Asad Iqbal Famous Naat – असद इक़बाल फेमस नात

 

असद इक़बाल  कौन हैं –

असद इक़बाल एक फेमस नातखाव हैं,उनकी ख़ूबसूरत आवाज़ और नात पढने की वजह से लोगों में उनकी शोहरत काफी है

असद इक़बाल के फेमस नातों  में से 2 नात (Lyrics) पेशे खिदमत है 

 

(1 ) नाते मुस्तफा सुन कर रूह जब मचलती है (lyrics ) –

हिंदी 

नाते मुस्तफा सुन  कर रूह जब मचलती है 

आशिक़ों के चेहरे से चांदनी निकलती है 

 

नाते मुस्तफा सुन  कर रूह जब मचलती है 

 

उनके सदके खाते हैं उनके सदके पीते हैं 

मुस्तफा की चौखट से क़ायनात पलती है 

 

नाते मुस्तफा सुन  कर रूह जब मचलती है 

 

थाम कर शहे दीं की रहमतों की ऊँगली को 

जन्नते मुहब्बत में ज़िन्दगी टहलती है 

 

नाते मुस्तफा सुन  कर रूह जब मचलती है 

 

काश वो नज़र आते ख्वाब के दरीचे से

मेरी दीदा ए हसरत पहेरो आँख मिलती है 

 

नाते मुस्तफा सुन  कर रूह जब मचलती है 

आशिक़ों के चेहरे से चांदनी निकलती है 

 

लफ़्ज़े कुन के जलवे में मुस्तफा का जलवा है

नूरे मुस्तफ़ाई में क़ायनात ढलती है 

 

नाते मुस्तफा सुन  कर रूह जब मचलती है 

 

ENGLISH 

 

Naate Mustafa sun kar Rooh jab machalti hai
Aashiqon ke chehre se chandani nikalti hai

Naate Mustafa sun kar Rooh jab machalti hai

Unke sadke khate hein Unke sadke pite hein
Mustafa ki chokhat se kaynat palti hai

Naate Mustafa sun kar Rooh jab machalti hai

Tham kar shahe deen ki Rehmaton ki ungli ko
Jannate Muhabbat mein Zindagi tahelti hai

Naate Mustafa sun kar Rooh jab machalti hai

Kash wo nazar aate khwab ke dariche se
Meri deeda-e-hasrat pahero aankh malti hai

Naate Mustafa sun kar Rooh jab machalti hai

Aashiqon ke chehre se chandani nikalti hai

Lafze qun ke jalwe mein Mustafa ka jalwa hai

Noor-e-Mustafai mein kaynat dhalti hai

Naate Mustafa sun kar Rooh jab machalti hai

 

(2 ) मदीना तुझे सलाम (Lyrics ) – 

हिंदी 

नूर का  सागर नूर की मेह  है
नूर का छलका  जाम, मदीना तुझे सलाम
साहिल रहमत पर नहीं होगा, कोई भी तश नाकाम 
मदीना तुझे सलाम

रोज़े क़यामत का वो सूरज
हम को क्या झुलसयेगा, खुद् ही डूबा  जायगा
शाफ़े ए महशर के दामन मे,  करेंगे हम  आराम 
मदीना तुझे सलाम

 

जुल्फे मुअम्मर की छॉव में 

रात सवरती रहती है,सूबह निखरती रहती है

रुए नबी के सादके मेरे है,रोशन सुबहो शाम 
मदीना तुझे सलाम

नाम नबी का हम लेते हैं 

हासिद क्यों जल जाते हैं,माथे पर बल आते हैं 

दिल की तख्ती पर लिखते हैं ,हम अपने नबी का नाम 

मदीना तुझे सलाम 

शहरे नबी का हर ज़र्रा 

सूरज को आँख दिखाता है,किस्मत पे इतराता है 

प्यारे नबी के सदके में है,तुझको हसीं इनआम 

मदीना तुझे सलाम 

दिल की रहल पर रख कर पढ़ना 

तुम आयते क़ुरानी,है ये तरीका ए ईमानी 

होगी नमाज़ ए  इश्क़ मुकम्मल,उनको करलो इमाम 

मदीना तुझे सलाम 

 

सीरत भी क़ुरआनी है 

और सूरत भी क़ुरआनी है ,क्या चेहरा नूरानी है 

उम्मत के तक़दीर में लिख दी,रब ने खुल्द तमाम 

मदीना तुझे सलाम 

 

इश्क़े नबी की एक चिंगारी 

खिलमन दिल में रोशन है,दिल का सेहरा गुलशन है 

भेज दुरूद ए पाक का तोहफा,मोमिन सुबहो शाम 

मदीना तुझे सलाम 

 

 

ENGLISH 

 

Noor ka Sagar Noor ki meh hai
Noor ka chalka jam Madina tujhe salaam
Sahile rehmat ka Wo sahil kaise ho nakam
Madina tujhe salaam

Roze qayamat ka wo suraj
Hum ko kya jhulsayega
Khud hi dooba jayega
Zulf e muambar ke saaye me
Hum karenge aaram
Madina tujhe salaam

Zulfe muambar ki chao me
Raat sawarti rehti hai
Subha nikalti rehti hai
Roo e nabi ke sadqe me hai
Roshan subha sham
Madina tujhe salaam

Naam Nabi ka hum lete hai
Haasid kya jal jaate hai
Maathe par bal aate hai
Dil ki takhti par likhte hai
Hum apne nabi ka naam
Madina tujhe salaam

Shehre Nabi ka har zarra
Suraj ko aankh dikhata hai
Kismat pe ittrata hai
Pyaare Nabi ke sadqe me
Hai tujh ko haseen inaam
Madina tujhe salaam

Dil ki rihal par rakh kar padhna
Tum aayaat e quraani
Hai yeh tareeka imaani
Hogi namaz e ishq mukammal
Unko karlo imam
Madina tujhe salaam

Sirat bhi quraani hai
Aur surat bhi quraani hai
Kya chehra noorani hai
Ummat ke taqdeer me likh di
Rab ne khuld tamaam
Madina tujhe salaam

Ishq e Nabi ki ek chingaari
Khilman dil me roshan hai
Dil ka sehra gulshan hai
Bhej durood e pak ka tohfa
Momin subho shaam
Madina tujhe salaam

 

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दुआ की गुज़ारिश 

 

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بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ”     औलाद की तरबियत – औलाद की तरबियत करना माँ-बाप की अहम् ज़ोम्मेदारी है | ये बात भी काबिले एतेबार है के अगर घर की ख़वातीन या माँ दीनदार है तो इंशाअल्लाह बच्चे ज़रूर दीनदार होंगे क्यूंकि बच्चों की असल दर्सगाह माँ की गौद है | जैसा उसके घर का माहौल होगा तो बच्चे ज़रूर उसमे ढालेंगे अगर माँ-बाप ही नए माहौल के हों तो बच्चे का दीनदार होना मुश्किल है |   अल्लाह तआला का इरशाद – يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ قُوٓا۟ أَنفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَارًۭا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٌۭ شِدَادٌۭ لَّا يَعْصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ तर्जुमा – ए ईमान वालों ! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर होंगे उसपर शख्त कड़े मिजाज़ के फरिश्तें मुक़र्रर हैं जो अल्लाह के किसी हुक्म में उसकी नाफ़रमानी नहीं करते, और वही करते हैं जिसका उन्हें हुक्म दिया जाता है | (सुरह तहरिम आयत 6) इसके मुताल्लिक हदीस – नबी करीम (स०अ०) ने इरश