بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ” जानवरों के हुक़ूक़ – इस्लाम में जानवरों के साथ कैसा बरताव करना चाहिए,ये तफ्सील से बताया गया है | बेज़बान जानवर जो कुछ बोलते नहीं और मुतालबा भी नहीं करते उसका ख्याल करना हमारे लिए ज़रूरी है | इसके मुताल्लिक चंद हदीसें – हजरत इब्ने उमर रज़ि और हज़रत अबू हुरैरह रजि दोनों ने हुजूर सल्ल का यह इर्शाद नकल किया कि एक औरत को इस पर अज़ाब किया गया कि उसने एक बिल्ली को बांध रखा था, जो भूख की वजह से मर गयी, न तो उसने उसको खाने को दिया न उसको छोड़ा कि वह जमीन के जानवरों (चूहे वगैरह) से अपना पेट भर लेती। हुजूरे अक्स सल्ल. से मुख्तलिफ अहादीस में मुख्तलिफ उन्वानात से यह मज़मून नकल किया गया कि इन जानवारों के बारे में अल्लाह तआला से डरते रहा करो। गौर करने की बात – जो लोग जानवरों को पालते हैं, उनकी जिम्मेदारी सख्त है कि वे बे-ज़बान जानवर अपनी जरूरियात को जाहिर भी नहीं कर सकते ऐसी हालत में उनके खाने पीने को खबरगीरी बहुत अहम और जरूरी है। इसमें बुख़्ल से काम लेना अपने आप को अज़ाब में मुब्तला करने के लिए तैय
بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم ” शुरू अल्लाह के नाम से जो सब पर मेहरबान है बहुत मेहरबान है ” शीधा जन्नत या जहन्नुम – आखिरत के दिन कुछ लोग एसे भी होंगे जो बगैर हिसाब व किताब के जन्नत में और बिना हिसाब के दोज़ख में डाल दिए जायेंगे, उसे बाद हिसाब किताब का सिलसिला शुरू होगा | बिना हिसाब के जन्नत में जाने वाले – हज़रत अस्मा रज़ि० कहती हैं, मैंने हुज़ूर सल्ल० से सुना कि क़ियामत के दिन सारे आदमी एक जगह जमा होंगे और फ़रिश्ता जो भी आवाज़ देगा, सबको सुनायी देगी। उस वक़्त एलान होगा कहां हैं वे लोग जो राहत और तकलीफ में हर हाल में अल्लाह की हम्द करते थे। यह सुन कर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी दूसरी मर्तबा – फिर एलान होगा, कहां हैं वे लोग जो रातों में इबादत में मश्गूल रहते थे और उनके पहलू बिस्तरों से दूर रहते थे। फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब-किताब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी। तीसरी मर्तबा – फिर एलान होगा, कहाँ हैं वे लोग जिनको तिजारत और खरीद व फ़रोख़्त अल्लाह के ज़िक्र से ग़ाफ़िल नहीं करती फिर एक जमाअत उठेगी और बगैर हिसाब के जन्नत में दाखिल हो जाएगी। चौ